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YBN PALAMU:-
एक वर्ष पहले 23 जुलाई 2024 की शाम लातेहार जिले के छीपादोहर के जंगलों से तेलुगू में सहायम़् (मदद) व अंग्रेजी में हेल्प की आवाज गूंज रही थी। सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल एक परिवार मदद की गुहार लगा रहा था। इस बीच स्थानीय कई लोगों ने पहल की। घायल परिवार को किसी तरह छीपादोहर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया था। घायलों में एक महिला की गंभीर हालत को देखते हुए स्थानीय चिकित्सकों ने सभी को पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर (डालटनगंज) स्थित मेदिनीराय मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर कर दिया था। अब यह तिरूपति का रहने वाला तेलुगू परिवार हिंदी में बात नहीं कर पा रहा था। डयूटी में थे वे तेलुगू समझ नहीं पा रहे थे। कोई समझा नहीं पा रहा था कि चोट कहां व कैसे लगी है। रात के 12 बज गए। किसी तरह हादसे की खबर शहीद भगत सिंह चौक पर लिट्टी बेचने वाल कृष्णा को मिली। भाषा का ज्ञान नहीं होने के बावजूद सिर्फ भावना को समझ कृष्णा ने अपने सहयोगियों के साथ घायल परिवार की पूरी मदद की। इलाज चल ही रहा था कि घटना की जानकारी पलामू पुलिस कप्तान रीष्मा रमेशन तक पहुंची। उन्हाेंने लातेहार एसपी को पूरी घटना की जानकारी दी। घायलों का इलाज पुलिस की निगरानी में आरंभ कराया। यहीं नहीं पलामू पुलिस ने अपने एक पुरूष हवलदार टोकन गोप व दो महिला कर्मी मनोरंजनी टोप्पो व सुनीता देवी के साथ घायल परिवार को वापस उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की थी। यह दंपत्ति 1750 किलोमीटर चल कर करीब एक साल बाद 20 जुलाई 2025 रविवार को पलामू पुलिस के प्रति आभार व्यक्त करने एसपी आवास पहुंचे। इस दंपत्ति के साथ उनका नया परिवार भी था।
गूगल मैप के शार्ट रूट से जगन्नाथ पुरी जाने के क्रम में छीपादोहर के पास हुआ था हादसा
मेदिनीनगर : आंध्र प्रदेश के तिरूपति के रहने वाले दिल्ली प्रताप अपने माता-पिता, पत्नी व बच्चों के साथ अपने निजी कार से चार धाम की यात्रा पर निकले थे। वापसी में काशी में बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर जगन्नाथ पुरी होते वापस घर के लिए निकले थे। इस बीच शार्ट रूट के लिए गूगल मैप की सहायता लेते हुए आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच छिपादोहर के जंगलों में एक ट्रक से उनके वाहन की टक्कर हो गई थी। इस कार यह हादसा हुआ था।
बढ़ा है हिंदी भाषियों के प्रति सम्मान, तिरूपति में कर रहे है उत्तर भारतीयों को सम्मानित
मेदिनीनगर : रविवार को पलामू पहुंचे दिल्ली प्रताप व उनकी पत्नी परमीला बताती हैं कि एक वर्ष पहले हुए इस हादसे के बाद मिली सहायता से उनका पूरा परिवार कृतज्ञ है। हिंदी भाषियों के प्रति उनका सम्मान बढ़ा है। वे दोनों स्वयं तिरूपति कार्य करने वाले कई उत्तर भारतीयों को सम्मानित कर चुके है। कृष्णा से तो अब भाई -बहन का रिश्ता हो गया है। इसके अलावा विश्वजीत पाठक, रंजीत सिंह, विकास सहित अन्य लोगों के साथ भाषा का नहीं बल्कि भाव का रिश्ता प्रगाढ़ हो रहा है। विश्वजीत बताते है कि एक ओर जहां कतिपय लोग देश को उत्तर व दक्षिण क्षेत्र में बांटते है वहीं इस तरह की घटना यह साबित करती है कि हम भारतीय भले की एक दूसरे की भाषा नहीं समझ सकें लेकिन भारतीयता का भाव सभी में कूट-कूट कर भरा है।