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मौलाना रूमी को सम्मानित करते मौलाना महताब आलम जियाई। Photograph: (ORIGNAL)
YBN PALAMU:-
यह मुशायरा स्थानीय गौसिया मुहल्ला पहाड़ी स्थित हाजी अबरार अहमद खां के आवास पर हुआ। इसकी सदारत मौलाना लुकमा अहमद रूमी व संचालन हाजी शमीम रजवी ने किया। स्वागत अदबी संसार के संस्थापक एमजे अजहर ने किया। मौके पर मौलाना रूमी, हाजी खलील अहमद अंसारी, हाजी अबरार अहमद खां को अंग वस्त्र, फूलों की पहनाकर सम्मानित किया गया। मुशायरा का आगाज तिलावत-ए-कुरआन पाक से किया गया। मौलाना लुकमान अहमद रूमी ने शहीदान-ए-कर्बला की शान में फरमाया कि वो नूरी घर की फजीलत न पूछो ऐ लोगों- झुलाते झूला हैं कुदसी भी इब्न ए हैदर का। मौलाना महताब आलम जियाई ने मकता के शेर में फरमाया कि आगौश-ए-मुस्तफा में वो महताब हैं पले- वल्लाह ऐसे साहब-ए-तकदीर हैं हुसैन। मास्टर हाजी शमीम रजवी ने कहा कि दीन-ए-हक के चेहरे को सरजमीन-ए-कर्बल पर- खून से सजाना था कर्बला हुसैन आए। ए.कय्यूम रुमानी ने कहा कि शौहदा-ए-कर्बला की तो किस्मत चमक गई- कर्बल के जां निसारों की तकदीर हैं हुसैन। डा. मकबूल मंजर ने कहा कि अली का लाडला है वो इमाम-ए-जी वकार है- नबी का वो करार है मुहिब्ब-ए-किरदिगार है। अमीन रहबर ने कहा कि लहू टपकता है आंखों से दिल के अंदर का, बयान होता है जब कर्बला के मंजर का। नौशाद अहमद खां ने कहा कि बातिलों के साए में एक सदा सदाकत की- दह्र को सुनाना था कर्बला हुसैन आए। एमजे अजहर ने कहा कि चमक रहा है सितारा दर-ए-पयम्बर का- लिबास आया है जन्नत से इब्न ए हैदर का। डा. इंतेखाब असर, डा. मुबीनुद्दीन कुरैशी,डा.अशरफ जमाल अश्क,हाफिज निगार आलम अता,अलाउद्दीन शाह चिराग,इमरान शाद,अदनान काशिफ,मो. इस्तेखार,हाजी मो. हैसामउद्दीन,डा. फरहत हुसैन खुश्दिल, हसरत शफीपुरी, जकाउल्लाह सना चिश्ती, नूर सुल्तानपुरी, फारूक अहमद आदि ने अपने कलाम पेश किए। मौके पर मुस्तफा बल्खी, हाजी हसीब अहमद खां, चांद खां, फखरुल हसन समेत काफी लोग उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन हाजी अबरार अहमद खां ने किया।