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FDR की नई तकनीक से झारखंड मे धरातल पर नहीं उतरी सड़क

झारखंड मे विदेशी तकनीक fdr से बनने वाली सड़क धरातल पर अब तक नहीं उतर पाई है सड़क निर्माण की समय सीमा भी कई माह पूर्व समाप्त हो चुकी है बावजूद संवेदक इस नई तकनीक से fdr सड़क नहीं बना पाए है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशनिया हो रही हैं ।

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Md Zeeshan Samar
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fdr सड़क

पलामू जिला के तरहसी प्रखण्ड के पाठक पगार की नवनिर्मित जर्जर सड़क Photograph: (orignal )

मेदिनीनगर (पलामू), वाईबीएन संवाददाता।

।FDR की नई तकनीक से झारखंड मे बनने वाली ग्रामीण सड़क 2 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरी सड़क । झारखंड के पलामू, गढ़वा समेत पांच जिलों में ग्रामीण कार्य विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में विदेशी तकनीक (fdr तकनीक) से ग्रामीण सड़के बननी थी। इस नई तकनीक को एफडीआर (फुल डेप्थ रेक्लेमेशन) का नाम दिया गया है।

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फिलहाल इस वक्त पूरे देश में अब तक एफडीआर विदेशी तकनीक से झारखंड के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की ग्रामीण क्षेत्रों में करीब ढाई हजार किमी सड़कें बनाई गई है। पलामू जिला के करीब एक दर्जन 
प्रखंडों में पहली बार 215 किमी में 119 किमी सड़कें इस नई विदेशी तकनीक एफडीआर से बनाने को ले 2 साल पहले टेन्डर निकाला गया था साथ ही संवेदक को सड़क निर्माण संबंधित कार्याअदेश दिया गया था।  2 साल बीत गए फिर भी सड़क निर्माण पूरा नहीं हुआ है  ।विभाग के अनुससर 

 एफडीआर तकनीक को नीदरलैंड,जर्मन व अमेरिका ने अपनाई है। इस नई तकनीक को झारखंड में पहली बार पलामू,गढ़वा,दुमका,गोड्डा व पाकुड़ जिला में अपनाते हुए टेंडर कराया गया।

नई तकनीक में इस्तेमाल की जाने वाली आधुनिक मशीन

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बावजूद इस नई तकनीक में इस्तेमाल की जाने वाली आधुनिक मशीन झारखंड के किसी भी संवेदकों के पास नहीं है। संबंधित संवेदकों ने टेंडर के समय घोषणा पत्र दिया था  कि वे इस मशीन को खरीदकर या नोएडा से हायर कर सड़क का निर्माण कराएंगे। इधर डेढ़ वर्षों तक कोई काम नहीं होने व झारखंड विधानसभा का चुनाव  समाप्त होने के बाद विभाग ने संवेदकों पर काम शुरू करने का दबाओ बनाया। सिलदिल्या कन्स्ट्रक्शन को डिबार घोषित किया गया संवेदक को चेतावनी दी गई की जब तक सड़क निर्माण कार्य  पूरा नहीं हो जाता पूरे राज्य मे किसी भी योजना के लिए वे टेन्डर नहीं भर सकते। इसके बाद संवेदकों ने आनन फानन मशीन हायर कर सड़क निर्माण कर्ज शुरू कर दिया है  बावजूद गुणवक्ता का कोई खयाल नहीं रखा जा रहा है निर्माण स्थल पर विभाग का कोई भी जेई मौजूद नहीं है। तकनीकी कर्मियों और मजदूरों के भरोसे सड़क बनाई जा रही है अब तक एक इंच सड़क भी पिच नहीं हुई है pcc सड़क बनाने का काम जारी है ग्रामीणों ने कर्ज पालक अभियंता से मांग की है की गुणवक्ता पूर्ण सड़क बनाई जाए  ।मालूम हो की पलामू जिला मे  215 किमी में 119 किमी एफडीआर सड़क बनने वाली है ।   

 क्या है  एफडीआर की नई तकनीक 

इस नई विधि से सड़क की पीचिंग नहीं बल्कि पर्यावरण अनुकूल सड़क होगी। चयनित सड़कों के पुराने मार्ग वाली गिट्टी व मिट्टी को लेकर मिक्स कर कैमिकल से नई सड़क बनाई जाती है । सड़क बनाने से पहले संबंधित मार्ग के हर एक किमी की लंबाई के भीतर तीन जगह की गिट्टी व मिट्टी की जांच नव निर्मित विशेष लैब में करने का प्रावधान है।

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कम खर्च में बनेगी सड़कें 

एफडीआर तकनीक से ग्रामीण सड़क बनाने के लिए संवेदकों को नोएडा या गुजरात की कंपनी से मशीन हायर करना होगा। सड़क निर्माण में प्रति किमी 90 से 91 लाख रुपये खर्च आएंगे। वर्तमान में यही ग्रामीण सड़कें 99 लाख से एक करोड़ रूपए प्रति किमी लागत आती है।

इस नई विधि से सरकार को प्रति किलोमीटर 9 से 10 लख रुपये की बचत होगी। बावजूद संशय की स्थिति बनी हुई है क्या पलामू समेत गढ़वा,दुमका,गाेड्डा व पाकुड़ जिला में इस विदेशी तकनीक से सड़क बन पाएगी। 

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पलामू के एक दर्जन  प्रखंडों में बनेगी ये सड़कें

एफडीआर जैसी नई तकनीक से पलामू के छतरपुर प्रखंड के शाहपुर से लकराही, मसीहानी से भागया, बारा मोड़ से भाया महुरी से लक्ष्मीपुर, हरिहरगंज प्रखंड में तेतरिया भाया बानपति व तेंदुआ कलां से होलका जगदीशपुर, हुसैनाबाद प्रखंड में पनतिबटूंडा, उपरी कलां व खूर्द, हैदरनगर प्रखंड के सरगरा से हैदरनगर भाया नौडीहा पीपरा तक बनेगी।

तरहसी प्रखंड के बेदानी से सेवती, सोनपुरवा से तेतराईं, पांकी प्रखंड के पांकी तेतराईं से बसरिया वाया कोनवाई, पांकी से सोनपुरवा,पाटन प्रखंड में पाटन बाजार से सरइडीह छतरपुर, सबतबरवा प्रखंड में धावाडीह से दरूआ, लेस्लीगंज प्रखंड के राजगरी से अखौरीपतरा भाया सोंस, राजोगाड़ी से सोहगरा वाया पहाड़ी कलां व पंचमो तक, चैनपुर प्रखंड के चैनपुर से उडंडा व सुकरी तक बनेगी।

इसके अतिरिक्त विश्रामपुर प्रखंड में मुसीखाप से नावाबाजार वाया जमरी तक, डालटनगंज सदर प्रखंड में पोलपोल से भागो कनाल सर्विस रोड पोलपोल से कुंडेलवा, हिसरा से पोखराहा वाया झाबर वाया हुटार आदि की सड़कें शामिल है। 225 किमी की सड़क में आधा दर्जन पुल शामिल है।

उत्तर प्रदेश में  सफल रहीं  FDR की सड़कें-

एफडीआर की आधुनिक तकनीक उतर प्रदेश में काफी सफल है। इसलिए झारखंड में इस तकनीक को अपनाया गया है। कम खर्च पर बेहतर परिणाम आएगा। इंजीनियर, कंसल्टेंट व टेक्निकल एक्सपर्ट्स का प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं। झारखंड के प्रधान सचिव के निर्देश पर जांच के लिए लैब तैयार कराया गया। मानक के रूप में सड़क को पलामू के धरातल पर उतारने को उन्होंने चुनौती के रूप में लिया है।   एफडीआर तकनीक से सड़क बननी शुरू हो गई है।  जल्द ही पिचीनग का काम शुरू हो जाएगा । - विशाल खलखो, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, मेदिनीनगर, पलामू।

 

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