पलामू, वाईबीएन नेटवर्क
पलामू जिले के दूरदराज क्षेत्रों में काले सोने यानी अफीम की अवैध खेती और कारोबार पर कब्जा करने के लिए खूनी संघर्ष तेज हो गया है। इस अवैध धंधे से जुड़े लोग क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने के लिए एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं। पिछले दिनों 18 फरवरी को मनातू थाना क्षेत्र के रजखेता गांव में दो पूर्व नक्सलियों की हत्या हुई, जिसे पुलिस इस अवैध कारोबार से जोड़कर देख रही है। इसके अलावा, एक अन्य व्यक्ति पर जानलेवा हमला भी हुआ है।
अफीम की खेती पर सख्ती, फिर भी नहीं थम रहा अवैध कारोबार
पलामू पुलिस ने इस साल अब तक करीब 500 एकड़ भूमि पर लगी अफीम की फसल को नष्ट किया है, लेकिन इसके बावजूद कई इलाकों में अफीम की खेती जारी है। खासकर बिहार से सटे मनातू और नौडीहा बाजार थाना क्षेत्रों में अक्टूबर से लेकर मार्च तक अफीम की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन क्षेत्रों में अफीम की खेती से जुड़े लोग इसे एक प्रमुख आय स्रोत मानते हैं, और यह व्यापार लाखों की कमाई का कारण बनता है। यही कारण है कि कई पूर्व नक्सलियों ने इस अवैध धंधे में अपना नेटवर्क स्थापित कर लिया है, और अब उनके बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है।
विधानसभा में गूंजेगा अफीम की खेती का मामला
पलामू जिले में अफीम की अवैध खेती पर पांकी विधानसभा के भाजपा विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने आवाज उठाई है। वे झारखंड विधानसभा में इस मामले को उठाकर प्रशासन पर दबाव बनाना चाहते हैं। उनके निशाने पर पांकी के एक पूर्व विधायक हैं, जिनसे उन्होंने पिछली बार चुनाव में कड़ी टक्कर ली थी। इसके अलावा, वे क्षेत्रीय पुलिस और वन विभाग पर भी आरोप लगा रहे हैं कि वे अफीम की खेती में संलिप्त हैं। उनके इस कदम से यह साफ है कि वे न केवल इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि क्षेत्र में अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए भी सक्रिय हैं।
पलामू में हो रही अफीम की खेती की वजह से बढ़ता अपराध
पलामू जिले में अफीम की खेती और उससे जुड़े अवैध कारोबार के बढ़ने से अपराधों में भी वृद्धि हो रही है। खूनी संघर्ष, हत्या और हमले जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। पुलिस, जो पहले से नक्सल प्रभावित इलाकों में सर्तक रहती है, अब इस अवैध कारोबार पर काबू पाने के लिए कई नए अभियान चला रही है। बावजूद इसके, इस क्षेत्र में अफीम की खेती पर काबू पाना और इससे जुड़े अपराधों पर रोक लगाना एक चुनौती बना हुआ है।