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कानपुर अखरी गांव में पैदा हुए अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय का Premanand Ji Maharaj बनने तक का सफरनामा...

संत प्रेमानंद जी महाराज का जन्म कानपुर के अखरी गांव में हुआ। उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय था, और वे एक धार्मिक वातावरण में पले-बढ़े।

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Ajit Kumar Pandey
PREMANAND JI MAHARAJ JI

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

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उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले का एक छोटा सा गांव अखरी। यहीं एक ब्राह्मण परिवार में एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय रखा गया। यह बालक आगे चलकर संत प्रेमानंद जी महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

PREMANAND JI
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अनिरुद्ध का बचपन अन्य बच्चों से भिन्न था। उनकी आंखें संसार की क्षणभंगुरता को देखती थीं और उनका हृदय ईश्वर के प्रति असीम प्रेम से भरा था। वे घंटों एकांत में बैठकर ध्यान करते, प्रकृति के सौंदर्य में ईश्वर के दर्शन करते और गरीबों की सेवा में लगे रहते। उनकी वाणी में एक ऐसी मिठास और करुणा थी कि जो भी उन्हें सुनता, मंत्रमुग्ध हो जाता।

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PREMANAND JI
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त्याग दिए थे सांसारिक जीवन

13 वर्ष की आयु में, अनिरुद्ध ने सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास का मार्ग चुना। उन्होंने वाराणसी में गंगा तट पर तपस्या की और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया। उनकी तपस्या और भक्ति ने उन्हें एक दिव्य तेज प्रदान किया।

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वाराणसी में तपस्या और वृंदावन में दीक्षा

वाराणसी में तपस्या के बाद, वे वृंदावन आए, जहां उन्होंने श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज से दीक्षा ली। उन्होंने राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षा ली और अपना जीवन राधा रानी की भक्ति में समर्पित कर दिया। वृंदावन में श्रीकृष्ण लीलाओं को देखकर उनका हृदय परिवर्तित हो गया और वे भक्ति मार्ग पर चल पड़े।

श्री हित राधा केली कुंज की स्थापना

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उन्होंने वृंदावन में "श्री हित राधा केली कुंज" आश्रम की स्थापना की, जो आज भक्तों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का केंद्र है। प्रेमानंद महाराज अपने सत्संगों और प्रवचनों के माध्यम से लोगों को भक्ति और आध्यात्म का मार्ग दिखाते हैं। उनके भक्त देश-विदेश से उनके दर्शन के लिए वृंदावन आते हैं।

PREMANAND JI
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श्रीराधारानी की भक्ति में समर्पित किए जीवन

प्रेमानंद महाराज का जीवन राधा रानी की भक्ति और मानव सेवा में समर्पित है। वे अपने सरल और दिव्य जीवन से लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। उनका जन्मदिन एक पावन अवसर होता है, जब उनके अनुयायी और भक्त उनके दिव्य जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं। इस दिन, विभिन्न स्थानों पर भजन-कीर्तन, सत्संग और सेवा कार्यों का आयोजन किया जाता है।

PREMANAND JI
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एक बार, उनके जन्मदिन के अवसर पर, एक गरीब महिला अपने बीमार बच्चे को लेकर आई। उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। प्रेमानंद महाराज ने अपने भक्तों से चंदा इकट्ठा किया और बच्चे का इलाज करवाया। उनकी दया और करुणा ने उस महिला के हृदय को छू लिया और वह उनकी अनन्य भक्त बन गई।

PREMANAND JI
PREMANAND JI

प्रेमानंद महाराज का जीवन एक दिव्य प्रेम कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि सच्चा सुख दूसरों की सेवा में है। उनकी शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के दिलों में प्रेम और भक्ति की अलख जगा रही हैं।

photo gallery : आइए देखते हैं 10 बिंदुओं में संत प्रेमानंद महाराज का जीवन

PREMANAND JI
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1. जन्म और प्रारंभिक जीवन: संत प्रेमानंद महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के अखरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय था। उनके परिवार में धार्मिक वातावरण था, जिससे उनमें बचपन से ही भक्ति के संस्कार पड़े।

2. आध्यात्मिक रुझान: बचपन से ही अनिरुद्ध का मन आध्यात्म की ओर आकर्षित था। उन्होंने कम उम्र में ही धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन शुरू कर दिया था।

PREMANAND JI
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3. संन्यास की ओर: 13 वर्ष की आयु में, अनिरुद्ध ने सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास का मार्ग चुना। उन्होंने वाराणसी में गंगा तट पर तपस्या की और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।

4. वृंदावन आगमन: वाराणसी में तपस्या के बाद, वे वृंदावन आए, जहाँ उन्होंने श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज से दीक्षा ली।

5. राधावल्लभ संप्रदाय: उन्होंने राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षा ली और अपना जीवन राधा रानी की भक्ति में समर्पित कर दिया।

6. भक्ति मार्ग: वृंदावन में श्रीकृष्ण लीलाओं को देखकर उनका हृदय परिवर्तित हो गया और वे भक्ति मार्ग पर चल पड़े।

PREMANAND JI
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7. श्री हित राधा केली कुंज आश्रम: उन्होंने वृंदावन में "श्री हित राधा केली कुंज" आश्रम की स्थापना की, जो आज भक्तों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का केंद्र है।

8. सत्संग और प्रवचन: प्रेमानंद महाराज अपने सत्संगों और प्रवचनों के माध्यम से लोगों को भक्ति और आध्यात्म का मार्ग दिखाते हैं।

9. भक्तों का प्रेम: उनके भक्त देश-विदेश से उनके दर्शन के लिए वृंदावन आते हैं। विराट कोहली और अनुष्का शर्मा, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित कई प्रसिद्ध लोग उनके अनुयायी हैं।

10. दिव्य जीवन: प्रेमानंद महाराज का जीवन राधा रानी की भक्ति और मानव सेवा में समर्पित है। वे अपने सरल और दिव्य जीवन से लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं।

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