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Crime News: प्रसव के दौरान महिला की मौत, नवजात की हालत नाजुक

प्रयागराज के मऊआइमा ब्लॉक क्षेत्र के न्यू महक हॉस्पिटल में रविवार सुबह एक दर्दनाक घटना सामने आई। प्रसव के दौरान 30 वर्षीय महिला की मौत हो गई।

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Abhishak Panday
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मृतक अर्चना का फाइल फोटो Photograph: (वाईबीएन)

प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता: प्रयागराज के मऊआइमा ब्लॉक क्षेत्र के न्यू महक हॉस्पिटल में रविवार सुबह एक दर्दनाक घटना सामने आई। प्रसव के दौरान 30 वर्षीय महिला की मौत हो गई। जबकि उसका नवजात शिशु गंभीर अवस्था में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने हालात को नियंत्रित किया और जांच शुरू कर दी है।

गलत ब्लड चढ़ाने का आरोप

जानकारी के मुताबिक मृतका अर्चना यादव पत्नी सोनू यादव मूल निवासी देवगढ़ कमासिन थी। वह कुछ दिनों से अपने मायके देवगलपुर मऊआइमा स्थित पिता इंद्रजीत यादव के घर रह रही थी। दो दिन पूर्व अचानक प्रसव पीड़ा तेज होने पर स्वजन उसे नजदीकी न्यू महक हॉस्पिटल ले आए। जहां उसे भर्ती कर लिया गया। रविवार की सुबह अर्चना ने बेटे को जन्म दिया। लेकिन प्रसव के कुछ ही देर बाद उसकी तबीयत बिगड़ी और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। महिला की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही बरतते हुए गलत ब्लड चढ़ाया, जिसके कारण अर्चना की मौत हो गई। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल में अनुभवी चिकित्सकों का अभाव है, और बिना पर्याप्त सुविधा के प्रसव कराया जा रहा था।

अस्पताल के बाहर हंगामा

महिला की मौत की खबर मिलते ही परिजनों के साथ गांव और आसपास के लोग बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच गए। वहां लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। बढ़ते हंगामे की सूचना पर मऊआइमा थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और किसी तरह लोगों को शांत कराया। मऊआइमा पुलिस का कहना है कि परिजनों के आरोप दर्ज कर लिए गए हैं और मामले की जांच की जा रही है। नवजात शिशु की हालत गंभीर होने के चलते उसे बेहतर इलाज के लिए प्रयागराज रेफर किया गया है।

स्थानीय लोगों में रोष

लगातार निजी अस्पतालों की लापरवाही से मरीजों की मौत की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग कार्रवाई करने में उदासीन बने हुए हैं। इससे लोगों में गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग अगर समय रहते निगरानी करता तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता था।

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