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रांची वाईबीएन डेस्क: टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा बिष्टुपुर के ऐतिहासिक गोपाल मैदान में आयोजित 12वां संवाद कॉन्क्लेव इस वर्ष आदिवासी संस्कृति के भव्य संगम का प्रतीक बना। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और झारखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने अपनी संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली का अनूठा प्रदर्शन किया। यह आयोजन पिछले 11 वर्षों से लगातार आदिवासी समुदायों को एक साझा मंच देने का कार्य करता आया है।
पारंपरिक नगाड़ों और जनजातीय गीतों से शुरुआत
उद्घाटन सत्र पारंपरिक वाध्य यंत्रों की गूंज के साथ शुरू हुआ। 251 नगाड़ों की एक साथ बजती लय ने पूरा मैदान जनजातीय ऊर्जा से भर दिया। इसके बाद मंच पर मुंडा और संथाल भाषाओं में गाए गए गीतों ने कार्यक्रम का माहौल और भी सांस्कृतिक बना दिया। पारंपरिक परिधानों में महिलाएं और पुरुष अपने विशिष्ट अंदाज में इस आयोजन को जीवंत कर रहे थे। यह दृश्य जनजातीय समाज की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का सशक्त परिचय था।
26 राज्यों के 153 जनजातियों की सहभागिता
संवाद कॉन्क्लेव में इस बार देश के 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 153 जनजातियों के करीब 2500 प्रतिभागियों ने भाग लिया। टाटा स्टील फाउंडेशन का उद्देश्य देश की आधी से अधिक जनजातीय आबादी को एक मंच पर जोड़ना है। पिछले एक दशक से अधिक समय में यह मंच 333 जनजातियों और 43 हजार से अधिक प्रतिभागियों को जोड़ चुका है, जिससे आदिवासी पहचान और ज्ञान को नई दिशा मिली है। कार्यक्रम में लगे स्टालों में प्रतिभागियों ने अपने पारंपरिक खाद्य पदार्थ, जड़ी-बूटी आधारित चिकित्सा पद्धतियां और अन्य सांस्कृतिक वस्तुएं प्रदर्शित कीं। ये स्टॉल जनजातीय जीवनशैली और परंपराओं की अनोखी झलक प्रस्तुत कर रहे थे।
टाटा स्टील एमडी ने कहाकार्यक्रम लगातार हो रहा मजबूत
इस अवसर पर टाटा स्टील के एमडी टी. वी. नरेंद्र ने भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में संवाद कॉन्क्लेव का स्वरूप लगातार बड़ा और प्रभावी हुआ है। यहां विभिन्न जनजातियों से जुड़े मुद्दों, संस्कृति और परंपराओं को नजदीक से समझने का अवसर मिलता है। उन्होंने स्टील उद्योग की मौजूदा चुनौतियों पर भी बात की और कहा कि भारत के लिए सकारात्मक पहलू यह है कि यहां आयरन ओर उपलब्ध है और मजबूत बाजार भी है। झारखंड पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के 25 वर्षों में अभी भी कई क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है और नई औद्योगिक परियोजनाओं को आकर्षित करना समय की आवश्यकता है।
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