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कुड़मी समाज के रेल टेका, डहर छेका आंदोलन को आजसू का पूर्ण समर्थन

आजसू पार्टी ने 20 सितंबर से झारखंड, बंगाल और ओडिशा में शुरू हो रहे ‘रेल टेका, डहर छेका’ आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है। पार्टी ने आंदोलन को सफल बनाने के लिए 24 जिलों में प्रभारी नियुक्त किए हैं। मुख्य मांगों में कुड़मी जाति को एसटी सूची में पुनः शामि

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MANISH JHA
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रांची, वाईबीएन डेस्क : कुड़मी समुदाय को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए 20 सितंबर से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शुरू हो रहे अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका, डहर छेका’ आंदोलन को आजसू पार्टी ने पूरा समर्थन देने का एलान किया है। पार्टी ने आंदोलन को सफल बनाने के लिए झारखंड के 24 जिलों समेत बंगाल और ओडिशा में भी वरिष्ठ नेताओं को जिला प्रभारी नियुक्त किया है।

आंदोलन को सफल बनाने की रणनीति

 पार्टी नेताओं ने कहा कि आजसू कार्यकर्ता आंदोलन के दौरान सड़क पर उतरकर इसे जन आंदोलन का रूप देंगे। पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में डॉ. लंबोदर महतो, विधायक निर्मल महतो, केंद्रीय महासचिव हरे लाल महतो और पार्वती देवी ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी स्व. एन. ई. होरो, रामदयाल मुंडा और गुरुजी शिबू सोरेन ने भी कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की वकालत की थी।

 जिलेवार जिम्मेदारी तय

बोकारो और गिरिडीह : सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी रामगढ़, हजारीबाग और चतरा,  विधायक निर्मल महतो सिंहभूम (पूर्वी-पश्चिमी),  केंद्रीय महासचिव हरे लाल महतो बोकारो, पूर्व विधायक डॉ. लंबोदर महतो रांची : केंद्रीय नेतृत्व की टीम संथाल परगना, संजीव महतो झारखंड के सभी

24 जिलों में प्रभारी नियुक्त किए गए हैं।

 इसके साथ ही बंगाल और ओडिशा में भी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। आंदोलन की मुख्य मांगें 1. कुड़मी जाति को एसटी सूची में पुनः शामिल किया जाए। 2. कुड़मालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता मिले। ऐतिहासिक साक्ष्य और तर्क आजसू नेताओं ने बताया कि कुड़मी समुदाय को 1931 से पहले आदिम जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त थी। भारत सरकार की 1913 और 1931 की अधिसूचनाओं में भी इन्हें अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन बाद में इन्हें एसटी सूची से हटाकर ओबीसी वर्ग में डाल दिया गया। डॉ. नारायण उरांव की पुस्तक “Tribal Identity and Kurmi Mahtos” का हवाला देते हुए नेताओं ने कहा कि कुर्मी समुदाय की परंपराएं, रहन-सहन और आजीविका अन्य मान्यता प्राप्त जनजातियों से काफी हद तक मेल खाती हैं।

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आजसू की अपील

आजसू पार्टी ने झारखंड के सभी राजनीतिक दलों और समुदायों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में साथ आएं। नेताओं का कहना है कि यह अनिश्चितकालीन आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक कुड़मी समुदाय को उनका संवैधानिक अधिकार और सम्मान नहीं मिल जाता।

Protest Jharkhand Shibu soren
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