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रांची, वाईबीएन डेस्क : झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने होटवार सेंट्रल जेल में कैदियों के ऐशो-आराम से जुड़े वायरल वीडियो पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह वीडियो किसी मयखाने या डांस बार का नहीं, बल्कि झारखंड की सबसे बड़ी जेल का है। मरांडी ने कहा कि लालू यादव और हेमंत सोरेन जैसे भ्रष्टाचार के आरोपी पहले भी इस जेल की शोभा बढ़ा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल में रसूखदार कैदियों के लिए अलग नियम हैं और पैसे के बल पर उन्हें हर सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
रसूखदार कैदियों के लिए अलग वार्ड और “एंट्री फीस” की व्यवस्था
मरांडी ने कहा कि जेल में बंद प्रभावशाली कैदियों के लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं। इन वार्डों में प्रवेश के लिए “एंट्री फीस” देनी पड़ती है और हर माह तय रकम जमा करनी होती है। उन्होंने कहा कि कुछ नामचीन कैदी जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जेल में ऐशो-अय्याशी की पूरी व्यवस्था चलाते हैं। मरांडी ने यह भी कहा कि जब कुछ अधिकारियों ने इन गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश की, तो उनका तबादला कर दिया गया। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अधिकारी रॉबर्ट निशांत बेसरा को “वीआईपी कैदियों की विशेष मेहमाननवाजी” से इनकार करने पर ट्रांसफर कर दिया गया था।
निलंबन से बहाली तक का खेल, जेल आईजी को बताया जिम्मेदार
मरांडी ने कहा कि जेल का यह गंदा खेल केवल छोटे कर्मचारियों के बस की बात नहीं, बल्कि इसमें उच्चाधिकारियों की मिलीभगत है। उन्होंने सवाल उठाया कि हजारीबाग जेल में गड़बड़ी के कारण निलंबित किए गए कारापाल दिनेश वर्मा को इतनी जल्दी निलंबन मुक्त कर बिरसा मुंडा जेल का प्रभारी कैसे बना दिया गया? मरांडी ने कहा कि जेल आईजी को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने किसके आदेश पर जेल में यह “गोरखधंधा” चलने दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सीआईडी और एसीबी से जुड़े अधिकारी भी इस नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिन्होंने शराब घोटाले के आरोपी को मदद पहुंचाई।
जेल में चल रहे खेल, पर हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग
मरांडी ने झारखंड उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह राज्य की जेलों में हो रहे गैरकानूनी कार्यों पर स्वत: संज्ञान ले। उन्होंने मांग की कि हाईकोर्ट के किसी सिटिंग जज की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी बनाई जाए, जो जेलों में चल रहे इस पूरे खेल और उच्चाधिकारियों की संलिप्तता की जांच करे।
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