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रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा (CGL-2023) पर उठे सवालों की गूंज अब अदालत तक पहुंच गई है। शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जहां अदालत ने फिलहाल पूर्व में जारी अंतरिम आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि अब अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें
मुख्य न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में इस याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता प्रकाश कुमार एवं अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका में मांग की गई है कि सीजीएल परीक्षा को रद्द कर इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र की सील टूटे मिलने, कई पुराने प्रश्नों की पुनरावृत्ति और परीक्षा से पहले कुछ सवाल सोशल मीडिया पर वायरल होने जैसी कई अनियमितताएं हुईं। वहीं, राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि अब तक की जांच में प्रश्नपत्र लीक का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि सीआईडी जांच में यह बात सामने आई कि कुछ प्रश्न पिछले वर्षों के हैं, जिसे लीक नहीं माना जा सकता।
CID जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया
सीआईडी की रिपोर्ट के अनुसार, जांच के दौरान संतोष मस्ताना नामक व्यक्ति से पूछताछ की गई थी। उससे केवल ‘गेस क्वेश्चन’ की जानकारी मिली, लेकिन पेपर लीक का कोई साक्ष्य नहीं मिला। राज्य सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि परीक्षा पारदर्शी तरीके से आयोजित की गई थी और प्रश्नपत्र की सुरक्षा को लेकर सभी मानक प्रक्रिया का पालन किया गया था। जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल और प्रिंस कुमार ने अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष रही और किसी भी स्तर पर गड़बड़ी साबित नहीं हुई है।
अभ्यर्थियों की उम्मीदें और अदालत की अगली कार्रवाई
सीजीएल परीक्षा-2023 में कुल 3,04,769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। यह परीक्षा 21 और 22 सितंबर को दो चरणों में आयोजित हुई थी। इसके जरिए विभिन्न विभागों में 2025 पदों
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