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अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य, घाटों पर उमड़ा जनसैलाब

छठ पूजा के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया गया। घाटों को दुल्हन की तरह सजाया गया, समितियों और प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए। मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य देकर व्रती अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण करेंगी।

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MANISH JHA
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रांची वाईबीएन डेस्क : लोक आस्था का सबसे पवित्र पर्व छठ सोमवार को पूरे देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज छठ व्रत का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। आज व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य अर्पित कर रही हैं। घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है और वातावरण भक्ति के रंग में रंग गया है।

सज-धजकर तैयार घाट, समितियों ने किए विशेष इंतजाम

छठ घाटों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। चारों ओर रंगीन रोशनी की जगमगाहट, फूलों की सजावट और छठ गीतों की मधुर ध्वनि ने माहौल को भक्तिमय बना दिया है। पूजा समितियों और प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खास इंतजाम किए हैं। महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम बनाए गए हैं, घाटों पर सुरक्षा बल तैनात हैं और चिकित्सा टीमों की भी व्यवस्था की गई है। कई जगहों पर समाजसेवी संगठनों की ओर से फलों और प्रसाद का वितरण किया जा रहा है। कोडरमा, रांची, हजारीबाग और गिरिडीह के घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ है। श्रद्धालु पूरे विधि-विधान के साथ जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे हैं। 

मंगलवार को उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य

अर्घ्य देने के बाद व्रती अपने घरों को लौट रही हैं, जबकि दूर-दराज से आए श्रद्धालु घाट किनारे बने अस्थायी शिविरों में रात्रि विश्राम करेंगे। प्रशासन की ओर से स्वच्छता, बिजली, जलापूर्ति और सुरक्षा की निरंतर निगरानी की जा रही है। मंगलवार की अहले सुबह व्रती पुनः घाटों पर पहुंचकर उगते हुए भगवान सूर्यदेव को दूसरा अर्घ्य अर्पित करेंगी और इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण होगा। छठ पर्व केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि पारिवारिक एकता, अनुशासन और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। बिहार और झारखंड में यह पर्व हर वर्ष अपार श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाता है। यह वही पल होता है जब हर कोई चाहे जहां भी हो, अपने घर लौटकर आस्था में डूब जाता है।

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