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फर्जी डॉक्टरों से सावधान: गलत इलाज से बढ़ रही स्किन मरीजों की परेशानी

झारखंड में स्किन और कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट के नाम पर फर्जी डॉक्टर सक्रिय हैं। IADVL ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कॉस्मेटोलॉजी कोई मेडिकल स्पेशलाइजेशन नहीं है। बिना डिग्री और अनुभव वाले लोग केमिकल पील, लेजर और नकली दवाओं से मरीजों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ड

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MANISH JHA
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रांची वाईबीएन डेस्क : शहर ही नहीं, पूरे राज्य में फर्जी डॉक्टरों की भरमार लगातार लोगों की सेहत के लिए खतरा बनती जा रही है। खासकर त्वचा रोगों और कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट के नाम पर चल रही क्वैकरी (फर्जी प्रैक्टिस) के कारण आम लोग गंभीर मुश्किलों में फंस रहे हैं। प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट, वेनेरियोलॉजिस्ट्स एंड लेप्रोलॉजिस्ट्स (IADVL) ने इस गंभीर मुद्दे पर लोगों को जागरूक करते हुए साफ संदेश दिया कि केवल विशेषज्ञ त्वचा रोग चिकित्सक से ही इलाज कराएं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्किन स्पेशलिस्ट और आईएवीडीएल के स्टेट सेक्रेट्री डॉ राजू कुमार, डॉ अम्लान सोम, डॉ कुमार प्रतीक, डॉ नेहा रानी, डॉ राजेंद्र प्रसाद साहू और डॉ संतोष मोदी ने संबोधित किया।

पार्लर से लेकर क्लीनिक तक चल रहा फर्जीवाड़ा

स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा रानी ने कहा कि आजकल कोई भी ब्यूटी पार्लर या सामान्य क्लीनिक चलाने वाला व्यक्ति खुद को कॉस्मेटोलॉजिस्ट लिख देता है। आम लोगों को लगता है कि ये रजिस्टर्ड डॉक्टर हैं और स्किन-हेयर स्पेशलिस्ट हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि कॉस्मेटोलॉजी कोई मेडिकल स्पेशलाइजेशन है ही नहीं। सरकार ने कॉस्मेटोलॉजिस्ट के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता सिर्फ 10वीं पास तय की है। ऐसे में यह सोचना आसान है कि क्या ऐसे लोग किसी गंभीर बीमारी या स्किन प्रॉब्लम का सही इलाज कर सकते हैं। डॉ. नेहा ने कहा, लोग सिर्फ सुंदर दिखने की चाह में अपने चेहरे और बालों की जिम्मेदारी बिना सोचे-समझे इन फर्जी डॉक्टरों को सौंप देते हैं। नतीजा यह होता है कि स्किन बर्बाद हो जाती है और कई मामलों में मरीजों को जानलेवा संक्रमण तक हो जाता है। कानपुर में ऐसे ही फर्जी इलाज के चलते दो लोगों की मौत हो चुकी है।” 

क्वैकरी का शिकार हो रहे लोग

 स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. कुमार प्रतीक ने बताया कि इन फर्जी डॉक्टरों द्वारा गलत तरीके से किए जाने वाले ट्रीटमेंट में मरीजों की स्थिति बिगड़ जाती है। उन्होंने कहा, “मुंहासों, झाइयों और बाल झड़ने की समस्या का सस्ता इलाज बताकर ये लोग इंजेक्शन, केमिकल पील और लेजर जैसी प्रक्रिया करते हैं। बिना ट्रेनिंग और बिना मेडिकल नॉलेज के ये सब प्रक्रियाएं खतरनाक साबित होती हैं। बाद में असली डॉक्टरों के पास आने पर मरीज की स्थिति इतनी बिगड़ी होती है कि इलाज लंबा और महंगा हो जाता है।”

मेडिकल सर्टिफिकेट जरूरी, सही डॉक्टर से ही कराए इलाज

डॉ. अम्लान और सेक्रेटरी डॉ राजू कुमार ने कहा कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। “किसी भी डॉक्टर से इलाज कराने से पहले यह जरूर जांच लें कि उनके पास मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया या स्टेट मेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त डिग्री है या नहीं। अगर कोई खुद को कॉस्मेटोलॉजिस्ट बताता है, तो समझ जाइए कि वह डॉक्टर नहीं है। 

लोगों से अपील

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 डॉक्टरों ने एकजुट होकर अपील की कि किसी भी तरह के स्किन और हेयर ट्रीटमेंट के लिए हमेशा एमबीबीएस और एमडी (डर्मेटोलॉजी) डिग्रीधारी डॉक्टर से ही संपर्क करें। सिर्फ लाइसेंस प्राप्त विशेषज्ञ ही सही दिशा में इलाज कर सकते हैं। 

 क्वैकरी डॉक्टर किन-किन ट्रीटमेंट में लुभाते हैं?

- केमिकल पील - लेजर ट्रीटमेंट - बाल झड़ने का नकली इलाज - इंजेक्शन और दवाओं का गलत इस्तेमाल - फेयरनेस, स्किन ग्लो और हेयर ट्रांसप्लांटेशन के नाम पर नकली दवा

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