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घाटशिला उपचुनाव में झामुमो ने पूरी ताकत झोंकी, कुर्मी वोटरों पर फोकस से मुकाबला बना दिलचस्प

झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख नज़दीक आते ही राजनीतिक सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) इस सीट को हर हाल में अपने पाले में बनाए रखने के लिए रणनीति के हर पत्ते खोल चुका है।

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MANISH JHA
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रांची, वाईबीएन डेस्क : झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख नज़दीक आते ही राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है। पूरे इलाके का माहौल अब पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुका है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) इस सीट को हर हाल में अपने पाले में बनाए रखने के लिए रणनीति के हर पत्ते खोल चुका है। पार्टी ने अपने शीर्ष नेताओं और मंत्रियों को मैदान में उतार दिया है ताकि संगठन की जड़ें गांव-गांव तक मजबूत की जा सकें।

 मंत्रियों ने संभाली कमान, गांव-गांव में प्रचार अभियान

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, झामुमो कोटे से सरकार में शामिल मंत्री दीपक बिरुवा और हफीजुल हसन पहले से ही घाटशिला में सक्रिय हैं। अब मंत्री योगेंद्र प्रसाद महतो भी 22 अक्टूबर से इलाके में डेरा डालेंगे और जनसंपर्क अभियान को और गति देंगे। उनका लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में पार्टी की उपलब्धियों को सीधे मतदाताओं तक पहुंचाना है। सूत्र बताते हैं कि तीनों मंत्री मिलकर गांवों में बैठकें करेंगे, चौपालों में संवाद स्थापित करेंगे और राज्य सरकार की जनकल्याण योजनाओं की जानकारी देंगे। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि इस रणनीति से झामुमो का जनाधार और मजबूत होगा।

कुर्मी मतदाताओं को साधने पर झामुमो की विशेष नजर

 इस बार झामुमो की चुनावी रणनीति का केंद्र कुर्मी मतदाता समुदाय है। घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में लगभग 15 से 17 हजार कुर्मी वोटर हैं, जिनका रुख किसी भी उम्मीदवार की किस्मत तय कर सकता है। यही कारण है कि झामुमो के नेता लगातार इस वर्ग के बीच पहुंच बना रहे हैं। स्थानीय मुद्दों, रोज़गार, सड़क और शिक्षा से जुड़े विकास कार्यों को इन बैठकों में प्रमुखता से उठाया जा रहा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि झामुमो सरकार ने जनकल्याण के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं, जिनका असर घाटशिला के मतदाताओं में दिखाई दे रहा है। उनका दावा है कि मुकाबला भले ही त्रिकोणीय हो, मगर झामुमो इस बार पहले से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में है। 

11 नवंबर को मतदान, 14 को नतीजा

यह उपचुनाव झामुमो विधायक और राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के कारण हो रहा है। चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख 11 नवंबर और मतगणना की तिथि 14 नवंबर तय की है। इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। झामुमो के लिए यह सीट न केवल प्रतिष्ठा का सवाल है, बल्कि संगठनात्मक मजबूती की परीक्षा भी है।

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