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मेदांता से मिला स्वास्थ्य लाभ, गाँव लौटे हफीजुल हसन अंसारी

लगभग 100 दिनों के इलाज के बाद हाजी हफीजुल हसन अंसारी दिल्ली के मेदांता अस्पताल से पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने पैतृक गाँव पिपरा (मधुपुर) लौट आए। गाँव पहुँचते ही उन्होंने मस्जिद में नमाज़-ए-शुक्राना अदा की

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MANISH JHA
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रांची वाईबीएन डेस्क : तक़रीबन 100 दिनों की लंबी और सख़्त बीमारी से जूझने के बाद हफीजुल हसन अंसारी अब पूरी तरह स्वस्थ होकर अपनी कार्यभूमि मधुपुर लौट आए हैं। दिल्ली के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उन्होंने मुश्किल वक़्त का सामना किया, मगर अल्लाह तआला की रहमत और अपने चाहने वालों की दुआओं से वे अब पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं। अपने पैतृक गाँव पिपरा लौटने के बाद उनका स्वागत आत्मीयता और भावनाओं से भरपूर रहा।

मस्जिद में अदा की नमाज़-ए-शुक्राना, अल्लाह का शुक्र अदा किया

गाँव पहुँचते ही हफीजुल हसन अंसारी ने सबसे पहले अपने गाँव की पवित्र मस्जिद में कदम रखा और दो रक़ात नमाज़-ए-शुक्राना अदा की। उन्होंने कहा कि हर सजदे में उन्होंने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का शुक्र अदा किया, जिन्होंने उन्हें नई ज़िंदगी अता फरमाई। इस मौके पर गाँव के कई लोग मौजूद रहे, जिन्होंने उनके स्वस्थ होकर लौटने पर खुशी जताई और दुआएँ दीं।

वालिद की कब्र पर फ़ातिहा, रूहानी जुड़ाव का एहसास

 नमाज़ के बाद हफीजुल हसन अंसारी अपने मरहूम वालिद और झारखंड के पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी साहब की कब्र पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने आँखों में नमी और दिल में बेपनाह मोहब्बत के साथ फ़ातिहा पढ़ी और दुआ-ए-मग़फ़िरत मांगी। उन्होंने कहा “इस मिट्टी में मेरे बुज़ुर्गों की यादें बसी हैं, यही मेरी रूह का ठिकाना है।” हाजी हाफिज हुसैन ने सभी समर्थकों, शुभचिंतकों और मधुपुर की जनता से दुआ की दरख़्वास्त करते हुए कहा “अल्लाह तआला मुझे सेहत-ए-कामिल अता करे ताकि मैं अपनी इस पवित्र मिट्टी और अपने लोगों की ख़िदमत में पूरी ज़िंदगी वक़्फ़ कर सकूँ।” उन्होंने अंत में सभी के लिए जज़ा-ए-ख़ैर की दुआ की।

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