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रांची, हजारीबाग वाईबीएन डेस्क: एसीबी ने रविवार सुबह झारखंड के हजारीबाग में नेक्सजेन ऑटोमोबाइल के मालिक विनय कुमार सिंह के छह ठिकानों पर छापेमारी शुरू की। यह कार्रवाई 2013 के एक गंभीर भूमि घोटाले की जांच के तहत की जा रही है। मामले में आरोप है कि विनय कुमार सिंह ने सरकारी वन भूमि की अवैध जमाबंदी करवाई, जो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा संरक्षित क्षेत्र में आती है।
2013 का विवादित जमाबंदी मामला
जानकारी के अनुसार, यह विवाद तब उभरा था जब 2013 में हजारीबाग के डीसी कार्यालय ने पांच प्लॉट की जमाबंदी को अवैध घोषित कर रद्द कर दिया था। उस वर्ष झारखंड सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस निर्णय को सही ठहराया था। वन प्रमंडल पदाधिकारी, हजारीबाग ने स्पष्ट किया था कि अधिसूचित वन भूमि पर गैर-वानिकी कार्य या अतिक्रमण भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत अपराध है। 12 दिसंबर 1996 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में भी कहा गया था कि जंगल-झाड़ी दर्ज भूमि के गैर-वन उपयोग के लिए भारत सरकार की पूर्व अनुमति अनिवार्य है। इस मामले में एसीबी ने हजारीबाग थाना में कांड संख्या-11/25 दर्ज की है।
गिरफ्तारी और जांच का निष्कर्ष
एसीबी ने इस मामले में तीन दिन पहले, 25 सितंबर की शाम को, विनय कुमार सिंह को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर गैर-मजरुआ खास किस्म की वन भूमि का अवैध जमाबंदी करवाया। यह जमीन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के तहत संरक्षित वन क्षेत्र में आती है, लेकिन इसे धोखाधड़ी कर उनके नाम पर दाखिल-खारिज कर दिया गया। जांच में यह भी पता चला कि यह प्रक्रिया तब हुई जब विनय चौबे हजारीबाग के डीसी पद पर थे। एसीबी की जांच में करोड़ों की इस सरकारी जमीन के अवैध लाभ में विनय कुमार सिंह की मिलीभगत के तथ्य सामने आए हैं। इस मामले से राज्य में भूमि और वन संरक्षण कानूनों पर नया सवाल उठ रहा है।