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1912 से पहले बंगाल प्रेसीडेंसी जैसी हो झारखण्ड की जातिगत स्थिति : डॉ. सूरज मंडल

डॉ. सूरज मंडल ने झारखण्ड की जातिगत पुनर्गठन की मांग करते हुए कहा कि 1912 से पहले की जातिगत स्थिति को बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कुर्मी समेत कई जातियों को पुनः अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की वकालत की और सामूहिक आंदोलन पर जोर दिया।

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MANISH JHA
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रांची, वाईबीएन डेस्क। अखिल भारतीय संपूर्ण क्रांति राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व सांसद एवं भाजपा नेता डॉ. सूरज मंडल ने झारखण्ड में जातिगत पुनर्गठन की मांग की है। उन्होंने कहा कि 1912 तक बंगाल प्रेसीडेंसी में बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा और बंगाल शामिल थे और उस दौर में कई जातियाँ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आती थीं। विभाजन के बाद इन जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में डाल दिया गया, जो ऐतिहासिक दृष्टि से गलत है। 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

डॉ. मंडल ने कहा कि 1912 तक कुर्मी, खेतौरी और घटवाल जैसी जातियाँ अनुसूचित जनजाति में थीं, लेकिन बिहार गठन के बाद इन्हें ओबीसी में डाल दिया गया। इसी तरह सुढ़ी, तेली, कलवार, कहार, सोनार, कुम्हार, मोगरा, रौनियार जैसी जातियों को भी अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया गया। 

सामूहिक आंदोलन की जरूरत

 उन्होंने कुर्मी समुदाय की अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को न्यायोचित बताया, लेकिन कहा कि केवल एक जाति के आंदोलन से परिणाम नहीं मिलेगा। विभाजन के बाद ओबीसी में डाली गई सभी जातियों को मिलकर सामूहिक आंदोलन करना चाहिए। 

योगेंद्र नाथ मंडल की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम

 डॉ. मंडल ने संविधान निर्माण में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की भूमिका के साथ योगेंद्र नाथ मंडल के योगदान को भी याद करने की अपील की। उन्होंने घोषणा की कि 5 अक्टूबर को देवघर में योगेंद्र नाथ मंडल की पुण्यतिथि पर विशेष समारोह आयोजित किया जाएगा।

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