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रांची,वाईबीएन डेस्क : झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा पुलिस केंद्र में गुरुवार को बड़ा घटनाक्रम सामने आया। राज्य की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत 10 नक्सलियों ने डीजीपी अनुराग गुप्ता और सीआरपीएफ अधिकारियों की मौजूदगी में आत्मसमर्पण किया।
कोल्हान और सारंडा क्षेत्र में थे सक्रिय
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली लंबे समय से कोल्हान और सारंडा इलाके में सक्रिय थे। इनमें कई महिला नक्सली भी शामिल हैं। surrendered उग्रवादियों की उम्र 18 से 22 वर्ष के बीच बताई गई है। इनमें एरिया कमेटी सदस्य रांदो बोइपाई उर्फ कांति बोइपाई, गार्टी कोड़ा, जॉन उर्फ जोहन पुरती, निरसो सीदू उर्फ आशा, घोनोर देवगम, कैरा कोड़ा, कैरी कायम उर्फ गुलांची, सावित्री गोप उर्फ मुतुरी और प्रदीप सिंह मुण्डा शामिल हैं।
पुनर्वास नीति का मिलेगा लाभ
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि झारखंड की आत्मसमर्पण नीति देश की बेहतरीन नीतियों में गिनी जाती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरेंडर करने वालों को पुनर्वास योजना का पूरा लाभ मिलेगा ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो हथियार नहीं डालेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
पुलिस-सीआरपीएफ अभियान का नतीजा
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में पश्चिम सिंहभूम में 9631 अभियान चलाए गए। इनमें 175 नक्सली गिरफ्तार, 10 मुठभेड़ में ढेर हुए और बड़ी मात्रा में हथियार-बारूद जब्त किए गए। हाल के वर्षों में इलाके में कई सुरक्षा कैंप भी स्थापित किए गए हैं, जिससे नक्सलियों की गतिविधियां लगातार सिमट रही हैं।
शांति की ओर कदम
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस आत्मसमर्पण को बड़ी रणनीतिक सफलता बताया और उम्मीद जताई कि इससे अन्य उग्रवादी भी मुख्यधारा से जुड़ेंगे। यह कदम न केवल सुरक्षा बलों के मनोबल को मजबूत करेगा, बल्कि झारखंड में शांति बहाली की दिशा में भी एक अहम पड़ाव साबित होगा।