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डीजीपी अनुराग गुप्ता का इस्तीफा, झारखंड पुलिस महकमे में मचा हलचल

झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के मुताबिक, उनका त्यागपत्र सरकार ने स्वीकार भी कर लिया है। इस्तीफे के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने इसे देर से लिया गया

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MANISH JHA
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 रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। इस घटनाक्रम के साथ ही झारखंड की प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई है। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन्होंने इस्तीफा किन कारणों से दिया, लेकिन माना जा रहा है कि हाल के महीनों में बढ़ते विवाद और राजनीतिक दबाव ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। अनुराग गुप्ता का इस्तीफा झारखंड की राजनीति में बड़ा मोड़ माना जा रहा है। क्योंकि उनके कार्यकाल को लेकर लगातार सवाल उठते रहे। विशेष रूप से एक्सटेंशन को लेकर विपक्ष ने सरकार पर कई बार निशाना साधा था।

बीजेपी ने बताया सही फैसला, कहा देर से लिया गया कदम

अनुराग गुप्ता के इस्तीफे पर भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर तंज कसते हुए इसे “देर से लिया गया सही कदम” बताया। रांची विधायक सीपी सिंह ने कहा कि इतने विवादों के बाद इस्तीफा देना आश्चर्यजनक तो है, लेकिन स्वागत योग्य भी। उन्होंने कहा, “डीजीपी का पद बेहद प्रभावशाली होता है। इस पद पर रहकर बड़े-बड़े घोटाले और पैसों के खेल चलते हैं। जो भी डीजीपी होता है, उसे कुछ करने की जरूरत नहीं, पैसा खुद पहुंचता है।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि “इतनी बड़ी कुर्सी और करोड़ों की कमाई छोड़ना कोई आसान फैसला नहीं होता। लगता है किसी डील में गड़बड़ी हुई होगी। भगवान करें कि उन्हें जेल न जाना पड़े।” सीपी सिंह ने सवाल उठाया कि रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें पद पर क्यों बनाए रखा गया, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी अनुमति नहीं दी थी। उन्होंने कहा कि “अगर यूपीएससी ने उन्हें मान्यता नहीं दी, तो आखिर राज्य सरकार किस आधार पर एक्सटेंशन देती रही?

 विपक्ष पहले से करता रहा है विरोध

 भाजपा लगातार अनुराग गुप्ता की नियुक्ति और एक्सटेंशन का विरोध करती रही थी। राज्य सरकार द्वारा केंद्र से अनुमति मांगे जाने के बावजूद गृह मंत्रालय ने इसे नामंजूर कर दिया था। इसके बाद मामला अदालत तक पहुंचा और बाबूलाल मरांडी ने इस नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी। विपक्ष का आरोप था कि सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर अपने पसंदीदा अफसर को पद पर बनाए रखा। भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के बावजूद सरकार ने आंखें मूंद रखी थीं। इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद भाजपा नेताओं ने सरकार से मांग की है कि पूरे कार्यकाल की जांच कराई जाए ताकि किसी तरह की अनियमितता का पर्दाफाश हो सके।

नए डीजीपी के नाम पर मंथन, दो अधिकारियों की दौड़ में चर्चा

इस्तीफे के बाद अब नए डीजीपी की तलाश शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, सीनियर आईपीएस प्रशांत सिंह (1992 बैच) और एमएस भाटिया (1993 बैच) के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं। प्रशांत सिंह फिलहाल डीजी (मुख्यालय) के पद पर तैनात हैं, जबकि एमएस भाटिया डीजी (अग्निशमन) के पद पर कार्यरत हैं। दोनों अधिकारियों की छवि पेशेवर और अनुशासित अफसर के रूप में मानी जाती है। सरकार जल्द ही इनमें से किसी एक नाम की घोषणा कर सकती है। 

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विवादों में घिरा रहा पूरा कार्यकाल

अनुराग गुप्ता का पूरा कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। चुनाव से पहले उन्हें झारखंड का प्रभारी डीजीपी बनाया गया था, लेकिन चुनाव आयोग के आदेश पर उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही उन्हें फिर से डीजीपी पद पर नियुक्त कर दिया गया। यू.पी.एस.सी. ने भी उनके नाम को डीजीपी के रूप में मान्यता नहीं दी थी। इसके बावजूद सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन दिया, जिससे कानूनी और राजनीतिक विवाद और गहराते गए। 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता की पहचान एक तेज-तर्रार और सख्त अफसर के रूप में रही है। लेकिन उनके कार्यकाल में हुए विवादों ने उनकी छवि को लगातार प्रभावित किया। अब उनके इस्तीफे के बाद पुलिस विभाग और राज्य सरकार दोनों के लिए यह एक नया अध्याय खोलता दिखाई दे रहा है।

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