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चुनाव खर्च का ब्योरा नहीं देने वाले 22 प्रत्याशियों पर गिरी गाज, आयोग ने जारी किया नोटिस

पिछले विधानसभा चुनाव में खर्च का विवरण नहीं देने वाले प्रत्याशियों पर अब चुनाव आयोग का शिकंजा कस गया है। झारखंड के 13 विधानसभा क्षेत्रों के 22 उम्मीदवारों ने अपने चुनावी खर्च का लेखा-जोखा तय समय सीमा में जमा नहीं किया था।

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MANISH JHA
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रांची, वाईबीएन डेस्क: पिछले विधानसभा चुनाव में खर्च का विवरण नहीं देने वाले प्रत्याशियों पर अब चुनाव आयोग का शिकंजा कस गया है। झारखंड के 13 विधानसभा क्षेत्रों के 22 उम्मीदवारों ने अपने चुनावी खर्च का लेखा-जोखा तय समय सीमा में जमा नहीं किया था। अब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने ऐसे सभी प्रत्याशियों को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने स्पष्ट किया कि आयोग के दिशा-निर्देश बेहद साफ हैं। हर उम्मीदवार को चुनाव समाप्त होने के बाद निश्चित अवधि में अपने खर्च का पूरा ब्योरा प्रस्तुत करना होता है। बावजूद इसके कई उम्मीदवारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। निर्वाचन आयोग की सख्ती, जवाब नहीं देने वालों पर लग सकती है छह साल की रोक सूत्रों के अनुसार, जिला निर्वाचन पदाधिकारियों के स्तर से भी कई बार इन उम्मीदवारों को नोटिस भेजे गए थे, मगर किसी ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। अब आयोग ने उन सभी मामलों को गंभीर मानते हुए भारत निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट भेज दी है। आयोग का कहना है कि यदि प्रत्याशी का जवाब असंतोषजनक पाया गया तो उसे छह वर्षों तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने इस कार्रवाई को अंतिम निर्णय से पहले प्रत्याशियों को एक और मौका दिया है। उन्हें एक महीने की अवधि में अपने स्पष्टीकरण या खर्च विवरण प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया है। अगर वे फिर भी जवाब नहीं देते हैं, तो उनकी उम्मीदवारी भविष्य के चुनावों में स्वतः रद्द मानी जा सकती है।

 किन विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशी हैं जांच के घेरे में

आयोग द्वारा जिन 13 विधानसभा क्षेत्रों की सूची जारी की गई है, उनमें राजमहल, महागामा, बड़कागांव, रामगढ़, मांडू, बगोदर, गांडेय, पाकुड़, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों के जिन प्रत्याशियों को नोटिस भेजा गया है, उनमें अधीर कुमार मंडल, नईम शेख, अमित कुमार, मुकेश सोरेन, कृष्ण मोहन चौबे, फुलेश्वर महतो, लालदेव मुंडा, सुनील कुमार बेड़िया, सुंदरनाथ बेड़िया, धर्मेंद्र प्रसाद, पंकज कुमार, मुख्तार खान, श्रीकांत प्रसाद, समीम अख्तर, पंकज कुमार जायसवाल, रितेश कुमार गुप्ता, प्रीति राज, अनिल मांझी, कामेश्वर पासवान, मुकेश चौधरी, राम प्यारे पाल, घनश्याम पाठक और राजेश बैठा शामिल हैं। इन सभी उम्मीदवारों ने पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमाई थी। लेकिन अब खर्च का ब्यौरा नहीं देने की वजह से उन पर चुनावी नियमों की अनदेखी का आरोप लग गया है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की पारदर्शिता के लिए यह कदम आवश्यक है। अगर इन प्रत्याशियों ने निर्धारित समय में जवाब दाखिल नहीं किया, तो उन्हें भविष्य में चुनाव लड़ने से वंचित रहना पड़ सकता है।

 नियमों की अवहेलना पर आयोग का सख्त संदेश

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि पारदर्शिता लोकतंत्र की आत्मा है। चुनाव के दौरान होने वाले खर्च की निगरानी इसलिए की जाती है ताकि मतदाताओं के बीच समान अवसर सुनिश्चित हो सके। उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव आयोग भविष्य में ऐसी लापरवाही को गंभीर अनुशासनहीनता मानेगा। ऐसे सभी मामलों में सख्त दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान रहेगा। झारखंड में यह पहली बार नहीं है जब प्रत्याशियों ने चुनाव खर्च की जानकारी देने में लापरवाही बरती हो, लेकिन इस बार आयोग के रुख से साफ है कि नियमों को दरकिनार करने

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