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रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड हाईकोर्ट द्वारा सीजीएल–2023 परीक्षा का परिणाम जारी करने की अनुमति दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी का असली चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि मामला सीबीआई जांच के योग्य नहीं है और एसआईटी की निगरानी में जांच जारी रहनी चाहिए। इस फैसले ने भाजपा द्वारा फैलाई गई अफवाहों, भ्रामक दावों और साजिशों को पूरी तरह उजागर कर दिया है।
भाजपा की अफवाहें और पेपर लीक की पोल खुली
भाजपा ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए हजारों युवाओं को गुमराह किया, उनके भविष्य से खिलवाड़ किया और पूरे राज्य में अनिश्चितता फैलाने की कोशिश की। जिस पेपर लीक का हवाला देकर भाजपा ने सड़क से सोशल मीडिया तक हंगामा मचाया, अदालत में उसकी कोई सच्चाई साबित नहीं हो सकी। शिक्षा माफिया और अफवाह फैलाने वाले तत्व पूरी तरह बेनकाब हो गए हैं।
झामुमो का रुख सही साबित, “नेक इरादा” की जीत
झामुमो शुरू से दावा करता रहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी और मजबूत है। मुख्यमंत्री ने पहले ही कहा था—“नेक इरादा हो तो चौतरफा सफलता मिलती है।” आज हाईकोर्ट का फैसला इस बात की पुष्टि करता है कि सरकार की नीयत और व्यवस्था दोनों सही दिशा में थीं।
युवाओं को बड़ी राहत, भाजपा से माफी की मांग
हाईकोर्ट के आदेश से उन हजारों अभ्यर्थियों को राहत मिली है जिनका परिणाम अब जारी होगा। ये युवा अब राज्य की सेवा में आगे बढ़ पाएँगे। झामुमो ने कहा कि यह फैसला न सिर्फ युवाओं के हित में है, बल्कि झारखंड की सच्चाई और शासन की पारदर्शिता की जीत भी है। पार्टी ने भाजपा से मांग की है कि वह युवाओं से माफी मांगे, क्योंकि झूठे आरोपों के सहारे भाजपा ने न केवल भर्ती प्रक्रिया को बदनाम किया बल्कि युवाओं का मनोबल भी तोड़ा।
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