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झामुमो का सियासी एलान: बिहार में दिखेगा झारखंडी रंग, 6 सीटों पर लड़ेगा चुनाव

रांची में झामुमो ने प्रेस वार्ता कर बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान किया। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा। महागठबंधन में असहमति के संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि आत्मसम्मान पर समझौता नहीं होगा।

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MANISH JHA
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रांची, वाईबीएन डेस्क : झारखंड की सत्ता पर काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा अब बिहार की सियासत में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की तैयारी में है। राजधानी रांची स्थित पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की मंशा और रणनीति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि बिहार में झामुमो अब सिर्फ सहयोगी दल नहीं, बल्कि एक सशक्त विकल्प के रूप में सामने आएगा। पार्टी ने यह भी साफ किया कि वह छह विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और मैदान में पूरी मजबूती के साथ उतरने को तैयार है। 

हम गठबंधन में बराबरी चाहते हैं, रहम नहीं :सुप्रियो भट्टाचार्य

 प्रेस वार्ता में सबसे पहले सुप्रियो भट्टाचार्य ने महागठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि झामुमो गठबंधन में रहकर हमेशा मर्यादा निभाता रहा है, लेकिन अब पार्टी आत्मसम्मान पर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा साथ निभाया, लेकिन हमें बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया। गुरुजी (शिबू सोरेन) ने हमें संघर्ष करना सिखाया है। अब वक्त आ गया है कि हम अपनी जमीन खुद तैयार करें। झामुमो किसी की दया पर राजनीति नहीं करता।” भट्टाचार्य ने यह भी जोड़ा कि झारखंड की राजनीति में जिस तरह झामुमो ने पहचान बनाई, उसी तरह बिहार में भी पार्टी अपनी मजबूत पकड़ बनाएगी। उन्होंने संकेत दिए कि आने वाले दिनों में गठबंधन की समीक्षा की जाएगी और पार्टी भविष्य की दिशा तय करेगी।

बिहार में 6 सीटों पर झामुमो का दावा, स्वतंत्र रूप से लड़ेगा चुनाव

झामुमो महासचिव ने बताया कि पार्टी ने बिहार के छह विधानसभा क्षेत्रों चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती  को चुनावी मैदान के रूप में चुना है। भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार की जनता झारखंड से गहराई से जुड़ी हुई है, और झारखंड की सामाजिक-राजनीतिक चेतना अब बिहार की सीमाओं को भी प्रभावित कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी ने राजद और कांग्रेस से कई दौर की बातचीत की थी, लेकिन दोनों दलों की ओर से झामुमो को उचित सम्मान नहीं दिया गया। इसलिए पार्टी ने यह निर्णय लिया कि अब झामुमो अपनी ताकत पर लड़ेगा। भट्टाचार्य ने जोड़ा, “हम गठबंधन की राजनीति में हमेशा ईमानदार रहे हैं। 2019 में हमने राजद के एक विधायक को मंत्री बनवाया, आज भी एक मंत्री राजद कोटे से काम कर रहे हैं। लेकिन अब हमें अपनी भूमिका तय करनी होगी।”

हेमंत और कल्पना सोरेन संभालेंगे मोर्चा, स्टार प्रचारकों की सूची जारी

 प्रेस वार्ता के दौरान सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि पार्टी ने बिहार चुनाव के लिए 20 स्टार प्रचारकों की सूची तैयार कर ली है। इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधायक कल्पना सोरेन, सांसद विजय हांसदा, और कई वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को यह सूची भेज दी गई है। आने वाले हफ्तों में हेमंत सोरेन खुद बिहार के कई जिलों का दौरा करेंगे और झामुमो के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करेंगे। भट्टाचार्य ने कहा, “हम बिहार की जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि झारखंड की लड़ाई केवल झारखंड की नहीं, बल्कि पूरे पूर्वी भारत की सामाजिक न्याय की लड़ाई है। हमारा फोकस विकास, आदिवासी अस्मिता और समानता पर रहेगा

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आत्मसम्मान की लड़ाई को ‘मिशन बिहार’ में बदलेगा झामुमो

झामुमो के इस निर्णय के साथ बिहार की सियासत में नई हलचल मच गई है। जहां एक ओर महागठबंधन में दरार के संकेत दिखने लगे हैं, वहीं झामुमो का यह कदम सीधे तौर पर राजद और कांग्रेस के लिए चुनौती साबित हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि झारखंड की सत्ताधारी पार्टी का बिहार में उतरना न सिर्फ सीमावर्ती जिलों में असर डालेगा बल्कि पूर्वी बिहार की राजनीति में नए समीकरण भी तैयार करेगा। पार्टी के नेताओं का दावा है कि यह चुनाव झामुमो के लिए केवल सीट जीतने का नहीं, बल्कि अपनी पहचान को बिहार में स्थापित करने का भी मौका होगा। प्रेस वार्ता के अंत में भट्टाचार्य ने कहा, “हमारी राजनीति आत्मसम्मान की राजनीति है। गठबंधन हो या अलग राह, झामुमो अपने दम पर आगे बढ़ेगा। यह हमारे अस्तित्व की लड़ाई है, और इस लड़ाई में कोई समझौता नहीं होगा।”

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