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टेंडर घोटाले मामले पर पथ निर्माण विभाग सख्त कहा होगी कड़ी करवाई

पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार ने खास बातचीत में बताया कि स्पष्ट तौर पर मामला संज्ञान में आ गया है। विषय की गंभीरता को देखते हुए विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारी पर भी कार्रवाई होगी।

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MANISH JHA
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रांची, वाईबीएन डेस्क: झारखंड में भ्रष्टाचार की कलंकित कथा कोई नई बात नहीं समय–समय पर एक से बढ़कर एक घोटाले घपले उजागर होते रहे हैं। इस बार झारखंड पथ निर्माण विभाग सवालों के घेरे में है। हेमंत सरकार के दो अलग, अलग विभागों की दो बड़ी परियोजनाओं के लिए निकाले गए टेंडर में एक ही कंपनी को टेंडर मिलना इसका पुख्ता प्रमाण है। जानकारी के अनुसार टेंडर भरने के समय कागज पर तीन कंपनियां सामने आईं। लेकिन दोनों अलग अलग विभाग का ठेका जब एक ही कंपनी के नाम हो गया। तो सवाल उठने लगा है कि यह महज विभागीय पदाधिकारियों के कुशल कारनामों का संयोग है या मनचाहे ठेकेदार से सुनियोजित सेटिंग के तहत ठेका दिलाने का अंदरूनी प्रयास। हालांकि मामले पर पथ निर्माण विभाग ने आपत्ति जताते हुए इसपर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।

क्या कहते हैं पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव 

 पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार ने खास बातचीत में बताया कि स्पष्ट तौर पर मामला संज्ञान में आ गया है। विषय की गंभीरता को देखते हुए विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारी पर भी कार्रवाई होगी।

पहला मामला : दुमका एयरपोर्ट तक की सड़क 

 पथ निर्माण विभाग ने एडीबी रोड (चिगलपहड़ी) से दुमका-रामपुर हाईवे होते हुए एयरपोर्ट तक 10.36 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए टेंडर जारी किया। इस परियोजना को 301.98 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी। इसके विरुद्ध 222.65 करोड़ रुपये का बीड दस्तावेज़ तैयार कर 12 अगस्त 2024 को निविदा मांगी गई। कुल आठ कंपनियों ने भाग लिया, लेकिन अंतिम रूप से सिर्फ तीन कंपनियां ही तकनीकी रूप से योग्य पाई गईं। भारत वाणिज्य इस्टर्न प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता दिनेशचंद्र आर अग्रवाल इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात भरिताय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, गुवाहाटी फाइनेंशियल बिड खुलने पर, भारत वाणिज्य ईस्टर्न प्राइवेट लिमिटेड को 7.46% अधिक दर पर ठेका दे दिया गया। इस कंपनी ने 239.25 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।

दूसरा मामला : गोला-मूरी सड़क परियोजना,

वही कंपनियां, वही नतीजा : इससे कुछ ही दिन बाद स्टेट हाईवे अथॉरिटी ऑफ झारखंड ने 25.16 किलोमीटर लंबी गोला-मूरी सड़क के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया। तब इस परियोजना को 333.17 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली थी। 23 अगस्त 2024 को टेंडर खोला गया, जिसमें 24 कंपनियों ने भाग लिया। लेकिन यहां भी नतीजा लगभग वैसा ही निकला। तीन कंपनियां पास हुईं जिनकी किस्मत चमकी। जिनकी किस्मत चमकने वाली थी उन कंपनियों में मुख्य रूप से भारत वाणिज्य, दिनेशचंद्र आर अग्रवाल और भरिताय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के नाम शामिल थे। लेकिन यह सब सिर्फ कागजों में सीमित थी।और परिणाम फिर वही निकला, मतलब ठेका भारत वाणिज्य इस्टर्न प्राइवेट लिमिटेड को ठेका मिल गया।

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संयोग या सिस्टम की सेटिंग 

 दोनों टेंडर अगस्त 2024 में निकले, दोनों में तीन ही कंपनियां योग्य हुईं, और दोनों का ठेका एक ही कंपनी के पास गया। विभागीय सूत्रों के अनुसार इतनी समानता को सिर्फ संयोग नहीं कहा जा सकता। कई ठेकेदार इस पैटर्न को पूर्व-निर्धारित प्रक्रियाबताते हैं, जबकि अधिकारी इसे नियमों के अनुरूप चयन कहकर खारिज कर रहे हैं। प्रशासनिक हलकों में चर्चा यहां तक है कि कहीं न कहीं तकनीकी मूल्यांकन की प्रक्रिया में सीमित प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाया गया। और यदि अगर ऐसा है, तो यह राज्य की निविदा प्रणाली पर बड़ा सवाल है कि आखिर एक ही ठेकदार को ठेका दिलाने के पीछे किसका हाथ।

Jharkhand corruption
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