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रांची वाईबीएन डेस्क: झारखंड पुलिस में हाल ही में महिला मुंशियों को थानों में तैनात करने के आदेश ने गंभीर विवाद को जन्म दिया है। झारखंड सशस्त्र पुलिस की एडीजी प्रिया दुबे ने इस आदेश के खिलाफ स्पष्ट आपत्ति जताई है। उन्होंने डीआईजी कार्मिक को लिखे पत्र में इस फैसले को रद्द करने का आग्रह किया है, यह कहते हुए कि मौजूदा प्रतिनियुक्ति आदेश लागू करना व्यावहारिक रूप से कठिन है। ADG प्रिया दुबे ने अपने पत्र में एक पूर्वनिर्धारित निर्देश का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि आईआरबी वाहिनियों में हथियार ड्यूटी में प्रतिनियुक्त बल का प्रतिशत 15% से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इस आदेश के कारण कई वाहिनियों में इस सीमा का उल्लंघन हो रहा है, जैसे आईआरबी वन में 40%, आईआरबी 8 में 37%, आईआरबी 10 में 34%, और जैप 7 में 40% प्रतिनियुक्ति हुई है।
प्रतिनियुक्ति के पीछे का आदेश और इसकी चुनौती
एडीजी प्रिया दुबे ने पत्र में कहा है कि महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के आदेशानुसार झारखंड के विभिन्न थानों में मुंशी कार्य के लिए जैप और आईआरबी वाहिनियों से कुल 212 महिला आरक्षियों को तैनात किया गया है। इससे पहले भी 89 महिला आरक्षियों को इसी कार्य के लिए चुना जा चुका है। ADG का तर्क है कि वाहिनियों का गठन विशेष रूप से उग्रवादियों के खिलाफ छापेमारी और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हुआ है। इन वाहिनियों के जवानों को विशेष हथियार ड्यूटी प्रशिक्षण दिया गया है और उनका थानों में मुंशी कार्य में लगाया जाना प्रशिक्षण को व्यर्थ कर देगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि इस प्रतिनियुक्ति आदेश में डीजीपी कार्यालय द्वारा गठित स्थानांतरण बोर्ड की अनुशंसा को दरकिनार किया गया है, जबकि इस बोर्ड का गठन 28 जनवरी 2025 को किया गया था।
प्रशिक्षण और प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया
डीजीपी कार्यालय के निर्देश के अनुसार, चयनित महिला मुंशियों को पहले प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद उन्हें झारखंड के विभिन्न जिलों में पोस्ट किया गया। प्रत्येक थाना में कम से कम तीन महिला आरक्षियों को मुंशी कार्य के लिए तैनात करने का निर्देश दिया गया है। प्रशिक्षण अवधि 27 सितंबर से 11 अक्टूबर तक निर्धारित की गई थी, जिसके बाद चिन्हित थानों में इन महिला मुंशियों की प्रतिनियुक्ति सुनिश्चित की जानी थी। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसएसपी, एसपी को निर्देश दिया कि प्रशिक्षित महिला मुंशियों को केवल मुंशी कार्य में लगाया जाए, अन्य कार्यों में नहीं। इस आदेश के कारण झारखंड पुलिस में संगठनात्मक और प्रक्रियात्मक स्तर पर गंभीर बहस शुरू हो गई है, जिससे कानून व्यवस्था और बल की कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।