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रांची, वाईबीएन डेस्क: झारखंड की राजधानी रांची में पुलिस ने अपराध की उस परत को उघाड़ दिया है, जो अब तक केवल फिल्मों में दिखती थी। दुबई में बैठे कुख्यात अपराधी प्रिंस खान और जेल में बंद गैंगस्टर सुजीत सिन्हा की साजिश का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने आतंक वित्त पोषण (UAPA एक्ट 1967) के तहत मामला दर्ज किया है।
कई नाम आए सामने
पुलिस ने इस केस में 15 से अधिक लोगों को नामजद किया है। इनमें प्रिंस खान, सुजीत सिन्हा, बबलू खान उर्फ इनामुल हक, रवि आनंद, मो. शाहीद, मो. सेराज, सुजीत की पत्नी रिया सिन्हा, जीतेश कुमार, संतोष मिश्रा, मयंक कुमार, राजू महतो, सुमित वर्मा, अभिषेक राम, प्रिंस मिश्रा, मुदस्सिर और रमिज के नाम शामिल हैं।
वीडियो के जरिए डराने की चाल
सिटी एसपी पारस राणा ने खुलासा किया कि जेल में बंद सुजीत सिन्हा अपने लोगों से धमकी भरे वीडियो बनवाकर दुबई भेजवाता था। प्रिंस खान इन्हीं वीडियो को कारोबारियों और बिल्डरों को भेजकर रंगदारी की मांग करता था। जो लोग पैसे देने से इंकार करते, उनके घर के बाहर फायरिंग कर दी जाती थी, ताकि खौफ बना रहे।
डिजिटल दुनिया में गैंग की प्लानिंग
पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि यह गैंग अपराध की योजना अब “जंगी ऐप” के जरिए बनाता था। इसी ऐप पर गिरोह के सदस्य आपस में बात करते, मिशन तय करते और टारगेट लिस्ट साझा करते थे। इस साइबर नेटवर्क में सुजीत की पत्नी रिया सिन्हा भी सक्रिय भूमिका निभाती थी।
रवि बनाता था ‘सूचना तंत्र’
गिरफ्तार अपराधी रवि उर्फ सिंघा गिरोह के लिए एक ‘सूचना एजेंट’ की तरह काम करता था। वह कारोबारियों, डॉक्टरों और बिल्डरों की पूरी डिटेल जुटाकर सुजीत को देता था। यही जानकारी दुबई में बैठे प्रिंस खान तक पहुंचाई जाती थी। इसके बाद विदेश से फोन कॉल कर धमकियां दी जाती थीं।
पहले भी हो चुकी हैं कई गिरफ्तारियां
रांची पुलिस ने 13 अक्टूबर को इस नेटवर्क से जुड़े रिया सिन्हा, बबलू खान, मो. शाहीद, मो. सेराज और रवि आनंद को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। तलाशी में पुलिस को तीन पिस्टल, सात मैगजीन, 13 जिंदा गोलियां, एक कार और कई मोबाइल फोन बरामद हुए थे।
विदेश से आए हथियारों की जांच जारी
पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस गिरोह ने पाकिस्तान से 21 आधुनिक हथियार मंगवाए थे। इनमें से 10 हथियार अब तक बरामद हो चुके हैं, लेकिन 11 विदेशी गन अभी भी गायब हैं। पुलिस की विशेष टीम लगातार इन हथियारों की खोज में जुटी है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जानकारी साझा की जा रही है।
तकनीक और आतंक का नया मेल
जांच एजेंसियों का मानना है कि यह गिरोह तकनीक को अपराध का नया हथियार बना चुका है। व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और जंगी जैसे सुरक्षित प्लेटफॉर्म के जरिए अब गैंगस्टर अपराध की रूपरेखा तय कर रहे हैं। झारखंड पुलिस ने इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए साइबर सेल की मदद से एक विशेष मॉनिटरिंग यूनिट बनाई है।
राज्य पुलिस की सबसे बड़ी कार्रवाई
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह केस राज्य में अब तक की सबसे बड़ी टेरर फंडिंग जांच है। इसमें दुबई, पाकिस्तान और झारखंड का नेटवर्क एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। आने वाले दिनों में कई और गिरफ्तारी संभव हैं।
लापता हथियारों पर फोकस
पुलिस अब लापता 11 विदेशी हथियारों की बरामदगी पर पूरी ताकत झोंक रही है। सूत्र बताते हैं कि इन हथियारों में आधुनिक पिस्टल और राइफलें शामिल हैं, जो आतंक संगठनों द्वारा प्रयोग की जाती हैं।
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