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रांची, वाईबीएन डेस्क : राज्य के हजारों विद्यार्थियों को पिछले डेढ़ साल से छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिल पाई है। यह समस्या अब छात्रों के सब्र का बांध तोड़ चुकी है। आर्थिक संकट से जूझ रहे एससी, एसटी, ओबीसी और पिछड़े वर्ग के कई छात्र अपनी पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ हो रहे हैं। शिक्षा के अधिकार से जुड़ा यह मुद्दा अब आंदोलन का रूप ले चुका है।
कल्याण भवन बना विरोध का केंद्र
बुधवार को राजधानी रांची के मोरहाबादी स्थित कल्याण भवन के बाहर सैकड़ों छात्रों ने सरकार और विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। सुबह से ही विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी जुटने लगे। कुछ ही देर में विरोध का स्वर इतना तेज हुआ कि सड़क पर भारी भीड़ लग गई। छात्रों ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से फॉर्म भरने, दस्तावेज जमा करने और सत्यापन के बावजूद छात्रवृत्ति की राशि नहीं भेजी गई। विभाग हर बार तकनीकी कारण बताकर मामले को टाल देता है। एक छात्र ने कहा, “हम गरीब परिवार से आते हैं। पढ़ाई और रहने का खर्च इसी छात्रवृत्ति से चलता है। अब तो परीक्षा में बैठना भी मुश्किल हो गया है।” कई छात्राओं ने बताया कि आवेदन करने के बावजूद एक रुपये तक की राशि नहीं मिली। उनकी बातों में गुस्सा और निराशा दोनों झलक रही थी।
सरकार सिर्फ घोषणा करती है, अमल नहीं छात्र संगठनों का आरोप
विभिन्न छात्र संगठनों ने आरोप लगाया कि कल्याण विभाग जानबूझकर प्रक्रिया को धीमा कर रहा है। उनका कहना है कि प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक दोनों योजनाओं की राशि महीनों से बकाया है। छात्र संगठनों ने मुख्यमंत्री और कल्याण मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि जल्द से जल्द सभी लंबित छात्रवृत्तियाँ जारी की जाएं। एक छात्र नेता ने कहा, “जब मंईयां सम्मान योजना के तहत राशि जारी की जा सकती है तो आम विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति रोकने का क्या औचित्य है?” कई छात्रों ने कहा कि विभाग हर बार पोर्टल की खराबी, सत्यापन की देरी और बजट स्वीकृति का बहाना बनाता है, लेकिन असल में यह लापरवाही और संवेदनहीनता है।
राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी
विरोध में शामिल विद्यार्थियों ने साफ चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह के भीतर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे। छात्र नेताओं ने कहा कि शिक्षा को लेकर सरकार की उदासीनता युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर छात्रवृत्ति तुरंत जारी नहीं हुई तो वे विधानसभा और सचिवालय का घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति कोई “दया राशि” नहीं, बल्कि “अधिकार” है, जो हर छात्र को मिलनी चाहिए। प्रदर्शन के अंत में छात्रों ने सामूहिक रूप से नारे लगाए “पढ़ाई हमारा हक है, इसे छीनने की गलती न करना!” “छात्रवृत्ति दो या गद्दी छोड़ो!” यह विरोध केवल राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले दिनों में हर जिला मुख्यालय में आंदोलन तेज किया जाएगा।