Advertisment

सीडीपीओ मुख्य परीक्षा के 10 माह बाद भी परिणाम लंबित, अभ्यर्थी इंतजार में

जेपीएससी की सीडीपीओ मुख्य परीक्षा का परिणाम 10 माह बाद भी जारी नहीं हुआ है, जिससे अभ्यर्थी निराश हैं। 2016 से झारखंड में जेटेट परीक्षा भी नहीं कराई गई है। जेट 2024 की अधिसूचना में कई विषयों को शामिल नहीं किया गया है, जिस पर आपत्ति जताई गई है।

author-image
MANISH JHA
1757680380575

रांची, वाईबीएन डेस्क : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा सीडीपीओ नियुक्ति प्रक्रिया 8 जून 2023 को शुरू की गई थी। 64 पदों पर नियुक्ति के लिए 10 जून 2024 को प्रारंभिक परीक्षा आयोजित हुई, जिसमें 1590 अभ्यर्थी सफल हुए। इनमें से 1511 अभ्यर्थियों ने अगस्त 2024 में आयोजित मुख्य परीक्षा में हिस्सा लिया। लेकिन अब तक 10 माह बीत जाने के बाद भी रिजल्ट जारी नहीं किया गया है। 64 पदों में से 32 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। अभ्यर्थी लंबे समय से परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

2016 से अब तक जेटेट नहीं आयोजित

झारखंड में शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) का आयोजन 2016 के बाद से अब तक नहीं हुआ है। राज्य गठन के बाद महज दो बार ही जेटेट आयोजित की गई। 2013 में पहली बार परीक्षा हुई, जिसमें 68 हजार अभ्यर्थी सफल हुए। 2016 में दूसरी बार परीक्षा हुई, जिसमें 53 हजार अभ्यर्थी सफल हुए। हजारों अभ्यर्थी शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन जेटेट न होने से वे मायूस हैं। अभ्यर्थियों ने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द इसका आयोजन करे।

जेट अधिसूचना में विषयों की अनदेखी

 जेपीएससी द्वारा जारी जेट 2024 अधिसूचना में कई विषय शामिल नहीं किए गए हैं। इसमें बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोलॉजी, फाइन आर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन और एमबीए (एग्रीबिजनेस) जैसे विषयों को स्थान नहीं मिला है। अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग की है कि इन विषयों को अधिसूचना में सम्मिलित किया जाए।

कोर्ट की फटकार के बाद ही सरकार सक्रिय 

आरोप है कि सरकार जेपीएससी, जेएसएससी, जेटेट, सहायक आचार्य, नगर निकाय और अनुबंध कर्मियों के नियमितीकरण जैसे मामलों में कोर्ट की फटकार के बाद ही कार्रवाई करती है। अभ्यर्थियों ने कहा कि यह सरकार के लोकतांत्रिक दायित्वों की अनदेखी है।

आउटसोर्सिंग प्रथा समाप्त करने की मांग

Advertisment

सरकार की आउटसोर्सिंग ठेकेदारी प्रणाली पर भी सवाल उठे हैं। अभ्यर्थियों ने कहा कि इसमें निजी कंपनियां कर्मियों का शोषण करती हैं। समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं मिलता और आरक्षण रोस्टर का पालन भी नहीं किया जाता। विस्थापित क्षेत्रों की कंपनियों को विस्थापितों को नौकरी देने की भी मांग की गई है। 

यूपीएससी की तर्ज पर प्रतिभा सेतु बने

आजसू पार्टी ने मांग की है कि जेपीएससी भी यूपीएससी की तर्ज पर प्रतिभा सेतु का निर्माण करे। यह ऐसा प्लेटफॉर्म हो, जहां वे मेधावी अभ्यर्थी जो मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू तक पहुंचकर भी अंतिम सूची में जगह नहीं बना पाते, उन्हें अवसर मिल सके। जैसे हाल ही में हुई 11वीं से 13वीं सिविल सेवा परीक्षा में 864 अभ्यर्थियों ने इंटरव्यू दिया, लेकिन केवल 342 चयनित हुए और 522 बाहर हो गए। ऐसे मेघावी छात्रों की उपयोगिता राज्य के विकास में सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए।

UPSC Jharkhand
Advertisment
Advertisment