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रांची वाईबीएन डेस्क: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की स्नातक स्तरीय (सीजीएल) परीक्षा को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचा और राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की। उन्होंने शिकायत की कि सीआईडी द्वारा की जा रही लगातार पूछताछ और छापेमारी से छात्रों में भय और मानसिक तनाव बढ़ रहा है। अभ्यर्थियों ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं हैं। वे केवल निष्पक्ष परीक्षा और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की उम्मीद में अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनका कहना है कि जांच एजेंसी की हरकतें उन्हें अपराधी की तरह पेश कर रही हैं, जबकि वे सिर्फ न्याय की अपेक्षा कर रहे हैं।
छात्र बोले जब तक कोर्ट का फैसला नहीं, तब तक कार्रवाई रोकी जाए
छात्रों ने राज्यपाल से आग्रह किया कि जब तक झारखंड हाईकोर्ट इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं देता, तब तक सीआईडी को किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से रोका जाए। उनका तर्क है कि अदालत में मामला लंबित है, ऐसे में जांच एजेंसी की जल्दबाजी अभ्यर्थियों के भविष्य को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि वे केवल पारदर्शी जांच चाहते हैं ताकि सच्चाई सामने आ सके। कई अभ्यर्थियों ने बताया कि वे महीनों से बेरोजगार हैं और अब इस तरह की कार्रवाई से मानसिक रूप से टूटने लगे हैं। उनका कहना है कि वे केवल मेरिट के आधार पर चयन चाहते हैं और किसी भी तरह की अनुचित भर्ती के खिलाफ हैं।
राज्यपाल ने दी कानूनी रास्ते की सलाह
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने प्रतिनिधिमंडल की बातें ध्यानपूर्वक सुनीं। उन्होंने छात्रों को भरोसा दिलाया कि उनकी चिंताओं पर सरकार संवेदनशील है और किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। राज्यपाल ने कहा कि यदि अभ्यर्थियों को लगता है कि जांच एजेंसी की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है, तो वे अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अदालत में अपनी बात रख सकते हैं। उन्होंने अभ्यर्थियों से संयम बनाए रखने की अपील की और कहा कि कानून व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास रखना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार और न्यायपालिका दोनों ही युवाओं के हित में काम कर रही हैं और किसी निर्दोष को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।
पेपर लीक विवाद बना राज्य की सबसे बड़ी परीक्षा चुनौती
उल्लेखनीय है कि झारखंड एसएससी सीजीएल परीक्षा को लेकर बीते कई महीनों से विवाद जारी है। पेपर लीक की शिकायत सामने आने के बाद सीआईडी ने कई जगह छापेमारी की थी और कुछ संदिग्ध लोगों से पूछताछ भी की थी। इसी कार्रवाई से असंतुष्ट होकर कई अभ्यर्थियों ने अब न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की है। झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई जारी है और अब सभी की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हैं। अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में न्यायपालिका के फैसले से स्थिति साफ हो जाएगी और राज्य की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा का भविष्य तय होगा।
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