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रांची वाईबीएन डेस्क: झारखंड में कुडमी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की मांग के खिलाफ आदिवासी संगठनों का विरोध तेज हो गया है। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने सिरमटोली सरना स्थल पर आयोजित बैठक में केंद्र सरकार को चेताया कि यदि कुडमी को एसटी दर्जा दिया गया तो आदिवासी समाज अस्तित्व संकट में आ जाएगा और उन्हें झारखंड छोड़ना पड़ सकता है।
संस्कृति और अधिकार पर खतरे की आशंका
अजय तिर्की ने कहा कि कुडमी की मांग आदिवासी समाज के हक और अधिकारों पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति को खत्म करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। वहीं, आदिवासी नेता ग्लैडसन डुंगडुंग ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि कुडमी 17वीं सदी में बिहार से झारखंड आए थे और 1872 से 1931 तक वे अलग वर्ग में दर्ज रहे। उन्होंने यह भी दावा किया कि टीआरआई की रिपोर्ट को केंद्र सरकार पहले ही खारिज कर चुकी है।
रैली की नई तारीख घोषित
केंद्रीय सरना समिति के नेता रूपचंद तिर्की ने बताया कि पर्व-त्योहारों के कारण 5 अक्टूबर को प्रस्तावित रैली को स्थगित कर दिया गया है। अब यह महारैली 12 अक्टूबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित होगी। इस मौके पर आदिवासी समाज संवैधानिक तथ्यों के साथ अपनी ताकत और एकजुटता का प्रदर्शन करेगा।
कुडमी समाज से संवैधानिक रास्ता अपनाने की अपील
आदिवासी नेता बाहा लिंडा ने कुडमी समुदाय से मर्यादित बयानबाजी करने और अपनी मांग को संवैधानिक तरीके से रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केंद्र सरकार से है और देश व राज्य की जिम्मेदारी भी केंद्र के पास है। बैठक में प्रकाश हंस, मुन्ना मिंज, सचिन कच्छप, निरज कुमार सोरेन, बबलु उरांव, सुरज टोप्पो, मुन्ना उरांव समेत कई आदिवासी नेता शामिल हुए।