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रांची, वाईबीएन डेस्क : झारखंड भाजपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य में उद्योगों के पलायन और बंद होते कारखानों पर हेमंत सोरेन सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड में न तो नीति स्पष्ट है, न ही निवेश के लिए माहौल सुरक्षित।
चार टेक्सटाइल कंपनियों ने ओडिशा का रुख किया
मरांडी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि झारखंड की चार प्रमुख टेक्सटाइल कंपनियाँ अब उत्पादन केंद्र ओडिशा स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में हैं। उनका कहना है कि यह राज्य के लिए एक गंभीर झटका है। उन्होंने लिखा “उद्योगपतियों का कहना है कि झारखंड की टेक्सटाइल नीति केवल कागज़ों में सिमटी है। ज़मीनी स्तर पर न तो कोई प्रोत्साहन मिल रहा है, न आवश्यक सुविधाएँ। वहीं, ओडिशा में सरकार संवाद करने को तैयार रहती है और उद्योगों को अनुकूल माहौल देती है।” मरांडी ने कहा कि जब पड़ोसी राज्य निवेश आकर्षित कर रहे हैं, तब झारखंड से उद्योगों का पलायन सरकार की नीतिगत असफलता को उजागर करता है।
यूरोप यात्रा से नहीं मिला कोई परिणाम
मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की यूरोप यात्रा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि निवेश लाने के नाम पर जनता के करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन उसका नतीजा ‘शून्य’ रहा। उन्होंने लिखा “मुख्यमंत्री जी ने यूरोप भ्रमण कर निवेश का दिखावा किया, लेकिन लौटने के बाद राज्य में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आया। उद्योग बंद हो रहे हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है, और पलायन अपनी चरम सीमा पर है।”
भय और असुरक्षा का माहौल बना
मरांडी ने कहा कि झारखंड में आज अपराध की स्थिति चिंताजनक है। भय, असुरक्षा और सरकारी उदासीनता ने उद्योगपतियों को मजबूर कर दिया है कि वे राज्य छोड़ दें। उन्होंने कहा कि इस नाकामी की सीधी कीमत झारखंड की जनता और बेरोजगार युवा चुका रहे हैं। अगर सरकार ने अब भी दिशा नहीं बदली, तो आने वाले वर्षों में राज्य पूरी तरह औद्योगिक पिछड़ेपन की ओर चला जाएगा।
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