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रांची, वाईबीएन डेस्क: राजधानी रांची दीपोत्सव की चमक में सराबोर हो चुकी है. हर गली, हर चौक और हर बाजार रंग-बिरंगी रोशनियों से सजा हुआ है. दीपावली के मौके पर शहर के बाजारों में ऐसी रौनक देखी जा रही है कि देर रात तक भी सड़कों पर खरीदारों का तांता लगा रहता है. लालपुर, अपर बाजार, मेन रोड, कांटाटोली, हरमू और हटिया चौक जैसे प्रमुख इलाकों में दीपावली की खरीदारी जोरों पर है. कहीं मिठाइयों की खुशबू हवा में घुली है तो कहीं झालरों की चमक आंखों को चकाचौंध कर रही है. दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान है, तो ग्राहकों के चेहरों पर त्योहारी उत्साह साफ झलक रहा है.
सजे बाजार, बढ़ी रौनक हर किसी के हाथों में खरीदारी की थैली
शहर के सभी बाजारों में दीपावली की तैयारियों ने अलग ही रंग भर दिया है. दुकानों में पूजा सामग्रियों, सजावटी वस्तुओं, कपड़ों और उपहारों की बिक्री पूरे शबाब पर है. लालपुर और अपर बाजार में पूजन सामग्री की दुकानों पर सुबह से ही भीड़ लगी रहती है. गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां, पूजा थाल, अगरबत्ती, कपूर, कलश, धूप, और सजावटी लाइटें ग्राहकों की पहली पसंद बनी हुई हैं. मिट्टी के दीये, घरौंदा, करंज का तेल, मोमबत्तियां और रंगोली की डिजाइन वाली सामग्री की मांग इस बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. हर दुकान पर ग्राहक अपनी पसंद की वस्तुएं चुन रहे हैं, वहीं दुकानदारों की कोशिश है कि ग्राहकों को त्योहारी माहौल का पूरा आनंद मिले. कांटाटोली चौक पर सजावटी लाइटों की बिक्री करने वाले दुकानदार सुनील अग्रवाल कहते हैं, “इस बार दीपावली में लोगों का मूड बेहद उत्साही है. पिछले सालों की तुलना में इस बार बिक्री दोगुनी हो रही है.”
दीयों और घरौंदों की बढ़ी चमक, कीमतों में भी बढ़ोतरी
दीपावली की पहचान मिट्टी के दीयों और घरौंदों से होती है. इस बार इन पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री ने बाजार में नई जान डाल दी है. लालपुर, कांटाटोली और हटिया इलाके में मिट्टी के दीयों की दुकानों पर भारी भीड़ है. छोटे-बड़े, रंगीन और डिजाइनर दीयों के साथ बिजली से चलने वाले दीयों की भी भरमार है. मिट्टी के दीयों की कीमतों में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल जहां एक सैकड़ा दीये 120 से 130 रुपये में मिल रहे थे, वहीं इस साल वही 150 से 200 रुपये तक में बिक रहे हैं. कारीगर रामेश्वर महतो बताते हैं, “इस बार बारिश से मिट्टी खराब हो गई थी, जिससे दीये बनाने में परेशानी हुई. ऊपर से तेल और परिवहन महंगे हो गए. इसलिए दाम थोड़ा बढ़ा है, लेकिन बिक्री बहुत अच्छी चल रही है.” वहीं खरीदार रेखा देवी का कहना है, “मिट्टी के दीयों से ही असली दीपावली का आनंद आता है. कीमत बढ़ भी गई तो कोई बात नहीं, ये कारीगरों की मेहनत का फल है.
स्थानीय कारीगरों की मेहनत से जगमगा रही राजधानी
दीपावली ने इस बार स्थानीय कुम्हारों और हस्तशिल्प कलाकारों के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है. ग्रामीण इलाकों से आए कारीगर अपने हाथों से बने दीये, घरौंदे और मिट्टी की मूर्तियां बेच रहे हैं. महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से तैयार किए गए रंगीन दीये, मोमबत्तियां और हस्तनिर्मित सजावटी वस्तुएं लोगों को खूब आकर्षित कर रही हैं. इससे इन समूहों की आय में भी इजाफा हुआ है और महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं. नगर निगम ने भी दीपोत्सव को खास बनाने के लिए शहर के प्रमुख सड़कों और चौक-चौराहों को बिजली की झालरों और आकर्षक लाइटिंग से सजाया है. हरमू रोड, मेन रोड और मोरहाबादी मैदान की ओर जाने वाले मार्गों पर रंगीन रोशनी की लड़ी लगाई गई है. रात होते ही पूरा शहर किसी दुल्हन की तरह चमक उठता है. घरों, दुकानों और मंदिरों में दीप जलते हैं और हवा में खुशियों की महक घुल जाती है. बच्चों की हंसी, मिठाइयों की मिठास और दीयों की लौ से रांची की गलियां इस समय सचमुच जगमगा रही हैं.