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जल संरक्षण में झारखंड का नाम रोशन, “पानी की खेती” के संस्थापक रथिन भद्र को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

झारखंड के रथिन भद्र को जल संरक्षण और “भुवनम – पानी की खेती” मॉडल के सफल क्रियान्वयन के लिए यूनाइटेड किंगडम की सस्टेनेबिलिटी सर्टिफिकेशन सर्विस ने अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। यह मॉडल वर्षा जल को धरती की परतों तक पहुँचा कर जल स्तर बढ़ाने में सक्षम है,

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MANISH JHA
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रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड के चर्चित समाजसेवी और “भुवनम – पानी की खेती” पहल के संस्थापक रथिन भद्र को यूनाइटेड किंगडम की सस्टेनेबिलिटी सर्टिफिकेशन सर्विस द्वारा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण, पर्यावरण संरक्षण और जनजातीय समुदायों के सतत विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।

भुवनम मॉडल से बदली कई इलाकों की तस्वीर

रथिन भद्र की विकसित “भुवनम – पानी की खेती” तकनीक एक स्वदेशी और समुदाय आधारित मॉडल है, जिसके माध्यम से वर्षा जल को सुरक्षित रूप से धरती की गहराई तक पहुँचाकर भूजल स्तर बढ़ाया जाता है। इस तकनीक ने सूखा–प्रभावित और जल संकट वाले क्षेत्रों में स्थायी जल उपलब्धता सुनिश्चित की है। उलीहातू, नेतरहाट और आसपास के कई इलाकों में आदिवासी परिवारों, विद्यालयों, सुरक्षा बल परिसरों और स्वास्थ्य केंद्रों को इस प्रणाली से सीधा लाभ मिला है। एक ही वर्षा ऋतु में यह तकनीक 4,000 से 10,000 घन मीटर तक पानी धरती में उतारने में सक्षम है, जिससे सिंचाई, पीने का पानी और आजीविका के साधन मजबूत होते हैं।

क्यों दिया गया सम्मान

यूके की सस्टेनेबिलिटी सेवा ने उनके नवाचार आधारित जल पुनर्भरण मॉडल, जनजातीय क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने, समुदायों को जल संरक्षण के लिए संगठित करने और सरकारी व संस्थागत सहयोग से दीर्घकालिक जल सुरक्षा ढाँचा विकसित करने की सराहना की। 

 यह सम्मान झारखंड की मिट्टी को समर्पित

सम्मान प्राप्त करने के बाद रथिन भद्र ने कहा कि यह पुरस्कार झारखंड की धरती और उन समुदायों को समर्पित है जो हर बूंद पानी का महत्व समझते हैं। उन्होंने कहा कि “पानी की खेती” को पूरे देश में फैलाने का अभियान और तेजी से आगे बढ़ेगा।

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