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रांची,वाईबीएन डेस्क : झारखंड सरकार ने सारंडा जंगल के संरक्षण के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत सरकार ने 575 वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र को संरक्षित करने की योजना बनाई है, जिसमें स्थानीय आदिवासी जीवन और पारंपरिक संस्कृति को बनाए रखना मुख्य उद्देश्य है।
नया मंत्रिमंडल पैनल का गठन
सरकार ने इस दिशा में एक पांच सदस्यीय समिति बनाने का निर्णय लिया है। इस “ग्रुप ऑफ मिनिस्टर” की अध्यक्षता वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर करेंगे, जबकि इसमें मंत्री दीपक बिरुआ, चमरा लिंडा, संजय प्रसाद यादव और दीपिका पांडेय सिंह सदस्य होंगे।
समिति का कार्य और दिशा-निर्देश
इस समिति को आदेश दिया गया है कि वह सारंडा क्षेत्र का व्यापक सर्वेक्षण करे। इस दौरान जंगल के पर्यावरणीय महत्व और स्थानीय जनजातीय समुदायों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित योजनाओं का मूल्यांकन किया जाएगा।
स्थल भ्रमण और विचार-मंथन
समिति मंगलवार, 30 सितंबर को सारंडा जंगल का दौरा करेगी। इस दौरे का मकसद केवल वन्य जीव संरक्षण नहीं, बल्कि आदिवासी समुदायों के अधिकार और जीवन शैली की सुरक्षा भी है।
आदिवासी संस्कृति और आजीविका
ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि सारंडा वन्यजीव अभयारण्य बनने से आदिवासी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। बिरहोर जैसे समुदाय पूरी तरह इस जंगल पर निर्भर हैं। इसलिए, उनके सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकारों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
सरकार की प्रतिबद्धता
झारखंड सरकार पर्यावरण सुरक्षा और विकास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग विभाग समिति को पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे।
भविष्य की रणनीति
समिति अपनी रिपोर्ट कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करेगी। इस रिपोर्ट में पर्यावरण संरक्षण, जनजातीय अधिकार, और विकास योजनाओं के संतुलित दृष्टिकोण की सिफारिश होगी।