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सारण्डा अभ्यारण्य पर सुप्रीम कोर्ट का दबाव, सरयू राय ने सरकार से त्वरित कदम उठाने की अपील

जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने सारण्डा सघन वन क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित करने में झारखण्ड सरकार की देरी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 7 अक्टूबर 2025 तक अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है, अन्यथा मुख्य सचिव को जेल जा

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MANISH JHA
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रांची,वाईबीएन डेस्क : जमशेदपुर पश्चिम के विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने सारण्डा वन क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित करने के मामले में राज्य सरकार की टालमटोल पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने प्रेस क्लब रांची में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 7 अक्टूबर तक अभ्यारण्य की अधिसूचना जारी करने का कड़ा आदेश दिया है, अन्यथा मुख्य सचिव को जेल जाना पड़ेगा।

सर्वोच्च न्यायालय का आदेश और सरकार का वादा

 सरयू राय ने बताया कि बीते 17 सितम्बर को सर्वोच्च न्यायालय ने झारखण्ड सरकार को अंतिम चेतावनी दी है। इससे पहले 29 अप्रैल 2025 को राज्य सरकार के वन सचिव ने न्यायालय में यह आश्वासन दिया था कि 57,519 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य और 13,603 हेक्टेयर को संरक्षण रिजर्व घोषित किया जाएगा। लेकिन आज तक अधिसूचना जारी नहीं हुई।

सारण्डा का पुराना दर्जा और सरकार की अनदेखी

राय ने खुलासा किया कि बिहार सरकार ने वर्ष 1969 में सारण्डा के 314 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को “गेम सेंक्चुअरी” घोषित किया था। इसके बावजूद झारखण्ड सरकार ने इस ऐतिहासिक अधिसूचना को नकार दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने 2021 में विधानसभा में इस मुद्दे पर सवाल भी उठाया था, लेकिन सरकार के पास कोई ठोस जवाब नहीं था।

खनन से बढ़ा संकट

 सारण्डा में खनन का इतिहास सौ साल से भी पुराना है। स्वतंत्रता के बाद सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को हजारों हेक्टेयर में लीज़ दी गई। 2006 के बाद तो खनन लीज़ के आवेदन की बाढ़ आ गई और 65,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में आवेदन आ पहुंचे। राय ने कहा कि इससे स्पष्ट था कि पूरी सारण्डा घाटी को खनन क्षेत्र में बदलने की कोशिश हो रही थी।

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 समितियों की रिपोर्ट और अनदेखी

 राय ने बताया कि एम.बी. शाह आयोग (2010), डी.एन. समिति (2011) और 2014 की कैरिंग कैपेसिटी स्टडी सहित कई उच्चस्तरीय समितियों ने सारण्डा में “नो माइनिंग जोन” घोषित करने की अनुशंसा की थी। एनजीटी ने 2022 में अभ्यारण्य घोषित करने का आदेश भी दिया, लेकिन सरकार ने उसका पालन नहीं किया।

विकास और संरक्षण की बहस

खनन कंपनियां तर्क दे रही हैं कि सारण्डा में 40 मिलियन टन लौह अयस्क का भंडार है और विकास के लिए इसका खनन आवश्यक है। इस पर राय ने सवाल उठाया कि अब तक सारण्डा के खनन से स्थानीय इलाकों को कितना विकास मिला है? उन्होंने कहा कि अगले 50 साल की जरूरत के लिए वर्तमान लीज़ पर्याप्त है। पर्यटन, वनोपज और स्थानीय आजीविका से होने वाला लाभ खनन से कई गुना स्थायी होगा। 

विधायक की अपील

 राय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और विभिन्न समितियों की सिफारिशों के बाद अब सरकार को देर नहीं करनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि 8 अक्टूबर से पहले सारण्डा वन्यजीव अभ्यारण्य और संरक्षण रिजर्व की अधिसूचना जारी हो। “खनन और पर्यावरण के बीच चुनाव करना हो तो पर्यावरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सारण्डा एशिया का अनमोल धरोहर है और इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है,” राय ने कहा।

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