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रांची, वाईबीएन डेस्क : झारखंड में बीते कुछ वर्षों से आदिवासी समाज के पारंपरिक पूजा स्थलों सरना, मसना, हड़गड़ी, मांझी थान और ज़ाहिर थान की ज़मीनों पर अतिक्रमण और कब्ज़े की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कई जगह इन स्थलों पर विवाद हुए, लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और सुरक्षा की मांग उठाई, लेकिन सरकार की ओर से ठोस पहल नहीं दिखी।
आदिवासी धार्मिक स्थलों पर लगातार विवाद
राज्य के कई जिलों में आदिवासी समुदाय ने अपने पारंपरिक स्थलों की रक्षा के लिए आंदोलन किए हैं। लोगों का कहना है कि सरना, मसना या मांझी थान जैसी जगहों पर कब्ज़े की शिकायतें आम हैं। बावजूद इसके, इन स्थलों की सुरक्षा या रखरखाव को लेकर प्रशासन ने अब तक कोई समग्र योजना नहीं बनाई।
चर्च सुरक्षा बैठक पर उठे सवाल
इसी बीच सिमडेगा में जिला प्रशासन द्वारा ईसाई धर्मगुरुओं के साथ चर्च सुरक्षा को लेकर बैठक बुलाए जाने की खबर सामने आई है। डीसी, एसपी और अन्य अधिकारी इसमें शामिल होंगे। इस कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं आखिर केवल चर्चों को ही विशेष सुरक्षा की जरूरत क्यों महसूस की जा रही है? क्या प्रशासन अन्य धर्मस्थलों की सुरक्षा को लेकर उदासीन है? इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सरकार की मंशा पर लगातार सवाल उठा रहे है. कहा इस सरकार को सिर्फ चर्च ही क्यों दिखाई देती है,यह बहुत बड़ा सवाल है.
सरकार की मंशा पर संदेह
स्थानीय लोगों का कहना है कि सिमडेगा में पिछले वर्षों में तेजी से ईसाई धर्मांतरण हुआ है और अब लगभग 51% आबादी ईसाई धर्म को मानती है। “चंगाई सभा” जैसे आयोजनों में अंधविश्वास फैलाने और धर्मांतरण के आरोप पहले भी लग चुके हैं। ऐसे में इस बैठक को लेकर लोगों के मन में संदेह है कि कहीं यह किसी विशेष समुदाय को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण देने की तैयारी तो नहीं।
सभी धर्मस्थलों के लिए समान सुरक्षा की मांग
लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया है कि अगर राज्य सरकार सुरक्षा को लेकर गंभीर है, तो केवल चर्च नहीं, बल्कि सरना, मसना, मांझी थान, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही, सिमडेगा में होने वाली इस बैठक का एजेंडा सार्वजनिक करने और सभी धर्मों के प्रतिनिधियों को इसमें आमंत्रित करने की मांग उठी है।