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रांची, वाईबीएन डेस्क : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रसिद्ध शिक्षाविद, पर्यावरणविद और आविष्कारक सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई केंद्र सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाती है और लोकतंत्र तथा संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है।
लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाने की कोशिश
भट्टाचार्य ने कहा कि सोनम वांगचुक न केवल लद्दाख की राजनीतिक और सामाजिक पहचान हैं, बल्कि विज्ञान और शिक्षा जगत में भी उनका बड़ा योगदान रहा है। भारतीय सेना को उनके आविष्कारों से लाभ मिला है और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त है। बावजूद इसके, उन्हें लगभग 26 घंटे तक हिरासत में रखना लोकतांत्रिक मूल्यों का दमन है।
अनुच्छेद 370 और लद्दाख का सवाल
भट्टाचार्य ने याद दिलाया कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि लेह-लद्दाख और कारगिल को छठी अनुसूची में शामिल कर विशेष दर्जा दिया जाएगा, लेकिन यह वादा अधूरा रह गया। सोनम वांगचुक पिछले पांच वर्षों से शांतिपूर्ण तरीके से अनशन और पदयात्रा कर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।
कॉर्पोरेट हितों के लिए संसाधनों का सौदा
झामुमो महासचिव ने आरोप लगाया कि इस गिरफ्तारी के पीछे असली मकसद लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों को कॉर्पोरेट घरानों को सौंपना है। लद्दाख में सौर ऊर्जा परियोजनाएं और कारगिल में लिथियम के विशाल भंडार को अंबानी और अडानी जैसे उद्योगपतियों को देने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे, एयरपोर्ट और अन्य सार्वजनिक संस्थानों की तरह अब राज्यों के खनिज और जंगल भी कॉर्पोरेट के हवाले किए जा रहे हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी विधानसभा में वांगचुक का समर्थन किया था। आज उनकी गिरफ्तारी यह साबित करती है कि सरकार लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाने पर उतारू है। उन्होंने अपील की कि देश के नागरिक इस दमन और संसाधनों के निजीकरण के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाएं।