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रांची वाईबीएन डेस्क। आजसू प्रमुख एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने कहा है कि कुड़मी समाज की मांग पूरी तरह से तथ्य एवं ऐतिहासिक आधार पर सही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अब राज्य और केंद्र सरकार को अविलंब निर्णय लेना चाहिए। महतो शनिवार को मुरी में चल रहे रेल टेका,डहर छेका आंदोलन में शामिल होकर मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
90 वर्षों से जारी संघर्ष
महतो ने कहा कि कुड़मी समाज को 1931 में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची से बाहर कर दिया गया था। तब से यह समुदाय अपने अधिकारों और पहचान की लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज ने शांति और धैर्य के साथ 90 वर्षों से आंदोलन जारी रखा है। अब और विलंब उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा।
झामुमो सरकार पर आरोप
सुदेश महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पहले शिबू सोरेन ने खुद कुड़मी समाज की मांग का समर्थन किया था और उस पर हस्ताक्षर भी किए थे। लेकिन अब झामुमो सरकार अपने ही रुख से पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि यह समाज की भावनाओं से खिलवाड़ है और वर्तमान सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं दिख रही।
राष्ट्रीय स्तर पर पहल
महतो ने बताया कि आजसू पार्टी ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर 16 संगठनों के साथ मिलकर भारत सरकार के सामने उठाया है और प्रस्ताव भी सौंपा है। उन्होंने कहा कि कुड़मालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने और कुड़मी समाज को एसटी सूची में बहाल करने के लिए ठोस कदम जरूरी हैं।
सरकार से त्वरित निर्णय की अपील
महतो ने कहा कि कुड़मी समाज ने अपनी ताकत और एकजुटता का परिचय इस आंदोलन के माध्यम से दे दिया है। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि जल्द से जल्द ठोस निर्णय ले और समाज के ऐतिहासिक न्याय को सुनिश्चित करे।