Advertisment

भाजपा सांसदों और केंद्र सरकार को अल्टीमेटम : कुशवाहा समाज

1998 में भाजपा सांसदों ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर वनांचल (वर्तमान झारखंड) राज्य गठन की मांग को संसद में सर्वोच्च प्राथमिकता देने का अनुरोध किया था। देरी से जनता में विरोध बढ़ा और सांसदों ने पार्टी नेतृत्व से वादा निभाने की अपील की।

author-image
MANISH JHA
एडिट
1760113903166

रांची वाईबीएन डेस्क : 8 जून 1998 को भारतीय जनता पार्टी के वनांचल क्षेत्र के सांसदों ने संसदीय कार्य मंत्री को सामूहिक पत्र भेजकर वनांचल राज्य निर्माण की मांग को दोहराया। सांसदों ने कहा कि भाजपा ने राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तर तक वनांचल राज्य गठन के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया था। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में वर्षों से अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है और जनता की आकांक्षा अब अपने निर्णायक मोड़ पर है।

जनता में उबाल, सांसदों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

 पत्र में सांसदों ने उल्लेख किया कि अखबारों में आई रिपोर्टों से यह संकेत मिला कि वनांचल को उत्तरांचल की तरह प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। इस सूचना से जनता में गहरा आक्रोश फैल गया है। कई स्थानों पर भाजपा सांसदों के पुतले जलाए गए और विरोध प्रदर्शन हुए। सांसदों ने कहा कि स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्काल निर्णय जरूरी है।

संसद में वनांचल बिल लाने की मांग

सांसदों ने स्पष्ट किया कि जब संसद में नए राज्यों के गठन का विधेयक लाया जाए, तो वनांचल राज्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। पत्र पर बाबूलाल मरांडी, कड़िया मुंडा, प्रो. रीता वर्मा, आभा महतो, रवीन्द्र पांडेय, दुखा भगत सहित कई सांसदों के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा जनता से किए वादे पर अडिग है और वनांचल राज्य का गठन अब टाला नहीं जा सकता

Protest bjp Jharkhand
Advertisment
Advertisment