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रांची, वाईबीएन डेस्क : सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में चल रहे दावों के अनुसार रामगढ़ जिले का वांटेड अभियुक्त राजेश राम कथित रूप से डीजीपी कार्यालय के आसपास नियमित तौर पर आता-जाता रहा, और उसे गिरफ्तार न किए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। राम पर पहले भी अवैध बालू उठाव व खनन से जुड़े केस में गिरफ्तारी हुई थी, जिसे स्थानीय पुलिस ने सार्वजनिक किया था।
डीजीपी कार्यालय और वांटेड अपराधी की आवाजाही
आरोप है कि जमानत पर बाहर रहने के दौरान भी राजेश राम डीजीपी कार्यालय में अक्सर देखा गया, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया। इस पूरे मामले ने पुलिस की कार्यशैली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वायरल ऑडियो और कारोबारी से वसूली का दावा
एक वायरल ऑडियो में दावा किया गया कि डीजीपी के करीबी माने जाने वाले कर्मी ने ओडिशा के कारोबारी से संपर्क किया, जिससे राजेश राम ने कथित रूप से 65 लाख रुपये वसूले थे। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है।
अवैध डीजीपी वरदहस्त और टीम पर सवाल
स्थानीय चर्चाओं में यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय में कुछ अधिकारी और कर्मचारी “अवैध संसाधन” संग्रह की टीम चला रहे हैं। इन आरोपों ने पूरे पुलिस महकमे की छवि पर असर डाला है और विभागीय स्तर पर जांच की मांग उठ रही है। .
मुख्यमंत्री और प्रशासन की चुप्पी पर राजनीति
राजनीतिक स्तर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि शराब घोटाले और अवैध वसूली में सरकार की भी हिस्सेदारी रही है। हालांकि, सरकार या डीजीपी कार्यालय की ओर से इस पर अब तक कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है।