शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
जलालाबाद में भगवान परशुराम जन्मस्थली की वजह से नगर को जल्द परशुरामपुरी नाम की घोषणा प्रदेश सरकार कर सकती है। चर्चा यहा तक है कि मुख्यमंत्री 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया (परशुराम जयंती) के दिन इसकी घोषणा करेगे। ब्राह्मण संगठन विगत कई वर्षो से जलालाबाद को परशुराम पुरी के रूप में घोषित करने की मांग उठा रहे हैं।
बता दें कि परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। उनका जन्म प्रदोष काल में हुआ था। परशुराम के बारे में सतयुग से लेकर कलयुग तक कई कथाएं मिलती हैं। इतना ही नहीं मान्यता है कि कलयुग में मौजूद आठ चिरंजीवी में से एक परशुराम जी है, जो आज भी धरती पर मौजूद है। परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। इनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को जलालाबाद में हुआ था। इन्हेंं राम नाम दिया गया था। लेकिन बाद में भगवान शिव से इन्हें एक परशु (अस्त्र) मिलाा, जिससे उनका नाम परशुराम पड़ा। प्रतिवर्ष जलालाबाद में परशुराम जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है इसी दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। जलालाबाद को परशुरामपुरी का नाम दिए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इस बार 30 अप्रैल को मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ जलालाबाद को परशुरामपुरी के नाम से घोषित कर सकते हैं। प्रशासन में भी आजकल यही चर्चा चल रही है। 27 अप्रैल को मुख्यमत्री जलालाबाद में हवाई पट्टी का निरीक्षण करने आए थे। तब भी इस पर चर्चा की गई थी। अब मुख्यमंत्री 2 मई को हवाई पट्टी पर लड़ाकू विमानों की उड़ान के दौरान भी आएंगे। चर्चा है कि इस बार 30 अप्रैल को शासनस्तर से जलालाबाद को परशुराम पुरी का दर्जा मिल सकता है।
धार्मिक पर्यटक स्थल घोषित किया जा चुका
परशुराम जन्म स्थली और रेणुका मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किया जा चुका है। उ.प्र पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के मंत्री जयवीर सिंह ने तीन वर्ष पहले जलालाबाद स्थित भगवान परशुराम जन्मस्थली को पर्यटन स्थल बनाने की पुरानी मांग को पूरा करने की घोषणा की थी। भगवान परशुराम मंदिर प्रांगण में आयोजित जनसभा में परशुराम जन्मस्थली को पर्यटन स्थल घोषित करते हुए कहा कि इस स्थान के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र सरकार से भी सहयोग लेंगे। साथ ही प्रदेश सरकार के पहले वित्तीय वर्ष के बजट से आवंटित धन यहां विकास कार्यों में खर्च किया जाएगा। इसी योजना के तहत यहां पर काम चल रहा है।