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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन नेटवर्क । शिक्षा को लेकर तमाम दावे किए जाते हैं सर्व शिक्षा अभियान, निःशुल्क शिक्षा, मिड-डे मील, स्कूल चलो अभियान... लेकिन जब ज़मीनी हकीकत की पड़ताल होती है, तो तस्वीर कई बार इसके उलट नजर आती है। शाहजहांपुर नगर क्षेत्र के वार्ड 15 बाबूजई स्थित प्राथमिक विद्यालयों की हालत कुछ ऐसी ही कहानी कह रही है। कहीं भवन छोटा है, तो कहीं शिक्षक नहीं हैं। बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन पढ़ाने वालों की संख्या कम होती जा रही है। शिक्षामित्रों के भरोसे पूरी शिक्षण व्यवस्था टिकी हुई है। हाल ही में बिजली पूरा विद्यालय को बाबूजई में मर्ज किया गया, जिससे यहां पहले से मौजूद अव्यवस्था और गहराती जा रही है। पढ़ाई से ज्यादा यहां जद्दोजहद है शिक्षकों के लिए भी और बच्चों के लिए भी। खबर की यह विशेष पड़ताल इसी जमीनी हकीकत को सामने लाने का प्रयास है।
बिजली पूरा का विद्यालय मर्ज, बोझ बाबूजई पर
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बिजली पूरा का प्राथमिक विद्यालय बंद कर दिया गया है और उसे बाबूजई के विद्यालयों में समायोजित कर दिया गया। हालांकि, छात्रों का नामांकन बाबूजई में हुआ, लेकिन शिक्षकों को अन्य स्थानों, जैसे रोटी गोदाम विद्यालय में अटैच कर दिया गया। इससे बाबूजई पर केवल छात्रसंख्या का बोझ बढ़ा, लेकिन स्टाफ नहीं बढ़ा। इससे पढ़ाई का संतुलन बिगड़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मर्ज का असर सोच-समझकर और समुचित योजना के साथ किया जाना चाहिए था।
बाबूजई द्वितीय की हालत और खराब
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बाबूजई द्वितीय विद्यालय बेहद सीमित स्थान में संचालित हो रहा है। न तो पर्याप्त कक्ष हैं और न ही बच्चों के खेलने या दौड़ने के लिए मैदान है। विद्यालय का भवन इतना छोटा है कि बच्चों को मजबूरन तंग कमरों या बरामदे में बैठकर पढ़ना पड़ता है। गर्मियों में गर्मी और बारिश में भीगने जैसी दिक्कतें आम हैं। शारीरिक विकास व खेलकूद जैसे जरूरी हिस्से पूरी तरह गायब हैं, जिससे बच्चों की रुचि व ऊर्जा पर भी असर पड़ रहा है।
अध्यापक भी परेशान, नीलू बौथम ने उठाई मांग
विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र नीलू बौथम ने स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि शिक्षकों की संख्या बेहद कम है और काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों की संख्या तो बढ़ रही है लेकिन पढ़ाने वालों की संख्या वही है। शिक्षकों को स्कूलों में उचित संसाधनों के साथ भेजा जाए, ताकि शिक्षा का स्तर सुधरे। अन्य शिक्षकों ने भी बिना नाम के कहा कि इस स्थिति में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना असंभव है।
अभिभावकों की चिंता
विद्यालयों की बदहाल व्यवस्था से अभिभावक बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं होंगे, जगह की कमी रहेगी और सुविधाएं नहीं होंगी, तो बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा? अभिभावक अब या तो ट्यूशन का सहारा ले रहे हैं या प्राइवेट स्कूलों का रुख करने पर मजबूर हो रहे हैं। कई लोगों ने कहा कि सरकारी योजनाएं कागजों पर हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। वे चाहते हैं कि सरकार व विभाग इस दिशा में ठोस कदम उठाए।
पार्षद विपिन यादव का बयान
बाबूजई के प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति वाकई चिंताजनक है। शिक्षकों की कमी, कम स्थान और सुविधाओं के अभाव में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। हमने विभागीय अधिकारियों को कई बार इस संबंध में अवगत कराया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बिजली पूरा विद्यालय को बाबूजई में मर्ज तो कर दिया गया, पर बिना अतिरिक्त शिक्षक और संसाधनों के, इससे स्थिति और बिगड़ गई है। मैं विभाग से पुनः अनुरोध करता हूं कि बाबूजई के तीनों विद्यालयों की समीक्षा कर शीघ्र समाधान किया जाए, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
खंड शिक्षा अधिकारी (नगर) नागेन्द्र कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि फिलहाल शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने बताया कि नगर क्षेत्र का विस्तार हुआ है और संसाधन सीमित हैं। बाबूजई के विद्यालयों की स्थिति संज्ञान में है। विभाग स्तर से रिपोर्ट भेजी गई है और आगे आवश्यकतानुसार व्यवस्था की जाएगी। अभी के लिए जो स्टाफ उपलब्ध है उसी से काम चलाया जा रहा है। अधिकारी ने आश्वासन दिया कि जल्द स्थिति बेहतर करने के प्रयास होंगे।