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वैसे देखा जाए तो विराट और रोहित अकेले प्लेयर नहीं हैं जो आस्ट्रेलिया दौरे की वजह से टेस्ट कैप पहनने से महरूम किए गए। उनसे पहले भी कई दिग्गज थे जिनके करियर का समापन आस्ट्रेलिया से भिड़ंत के बाद हो गया। इनमें द वाल के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ का नाम भी शामिल है तो फेहरिस्त में वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले, एमएस धोनी, रविचंद्रन अश्विन जैसे दिग्गजों के नाम भी शामिल हैं। सचिन तेंदुलकर के करियर का अवसान भी 2012 के आस्ट्रेलिया दौरे के बाद होने लग पड़ा था। विदेशी धरती पर फेल होने के बाद माना जाने लगा था कि मास्टर ब्लास्टर में अब वो बात नहीं रही। लिहाजा वो रिटायर हो जाएं तो बेहतर है।
लायड की वेस्टइंडीज सरीखा रुतबा रहा है आस्ट्रेलिया का
क्रिकेट के इतिहास में देखा जाए तो एक समय जो रुतबा क्लाइव लायड की अगुवाई वाली वेस्टइंडीज का रहा है, वैसा ही कुछ बाद के दौर में आस्ट्रेलिया का। एक दौर था जब वेस्टइंडीज की टीम कम स्कोर पर भी आउट हो जाती थी तब भी विरोधी टीम को जीत की आस न के बराबर रहती थी। वजह, उनकी टीम में मेल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग, एंडी राबर्ट्स, जोएल गार्नर जैसे बालर थे। बैटिंग की बात की जाए तो डेसमंड हेंस, गार्डन ग्रीनिज और सबसे ऊपर विव रिचर्ड्स होते थे। बाद के दौर में जो आस्ट्रेलिया की टीम बनी वो कमोवेश वेस्टइंडीज सरीखी ही ताकतवर थी। गेंदबाजी में ग्लेन मैक्ग्रा, ब्रेट ली के साथ शेन वार्न जैसे कालजयी खिलाड़ी थे तो बैटिंग में मैथ्यू हेडन, एंड्रयू साइमंड्स, रिकी पोटिंग, एडम गिलक्रिस्ट, स्टीव वा जैसे दिग्गज थे। इनमें से हर एक अपने दम पर मैच को मोड़ना की सामर्थ्य रखता था। एक भीचल निकला तो सामने वाली टीम का औंधे मुंह गिरना तय था।
आखिरी बार आस्ट्रेलिया में रोहित, 3 टेस्ट 31 रन
रोहित शर्मा के टेस्ट करियर पर ग्रहण तभी लग गया था जब 2025 की बार्डर गावस्कर ट्राफी में वो 3 टेस्ट में महज 31 रन ही बना सके। पहले टेस्ट वो खेले नहीं थे। आखिरी में जानकर नहीं खेले, क्योंकि उनका मानना था कि वो आउट आफ फार्म हो चुके हैं। वो जबरिया खेलने की कोशिश करेंगे तो टीम का नुकसान होना तय है। हालांकि उसके बाद उनकी अगुवाई में भारत ने चैंपियंस ट्राफी जीती पर आस्ट्रेलिया उनके टेस्ट करियर के लिए कब्रगाह बन गया।
विराट ने शतक तो लगाया पर नहीं छोड़ सके असर
2025 आस्ट्रेलिया दौरे में विराट ने 9 पारियों में महज 190 रन ही बनाए। हालांकि उनके बल्ले से एक शतक निकला। तब फैंस को लगा कि अब वो रिद्म में आ गए हैं। लेकिन उसके बाद वो आफ स्टंप के बाहर जाती गेंदों पर लगातार फ्लाप हुए। स्काट बोलैंड ने उनके चार मर्तबा अपनी आउट स्विंग पर शिकार बनाय। भारतीय टीम बुरी तरह से हार गई। ये उनका आखिरी दौरा बन गया। जाहिर है कि अब मैनेजमेंट को उन पर भरोसा नहीं रहा।
आस्ट्रेलिया का 2008 का दौरा कुंबले को निगल गया
2008 में आस्ट्रेलिया की टीम भारत आई थी। हालांकि भारत ने ये सीरिज 2-0 से जीती लेकिन इस दौरे के बाद सौरव गांगुली और अनिल कुबले इतिहास बन गए। सौरव ने 4 मैचों में 324 रन बनाए। वो शानदार खेले पर कुंबले बुरी तरह से फ्लाप रहे। भारत के सबसे सफल गेंदबाज कुंबले 2 मैचों में खेले पर वो केवल 3 विरोट ही चटका सके और टीम से बाहर हो गए।
द्रविड़ और लक्ष्मण के लिए आस्ट्रेलिया बना काल
राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण उन खिलाड़ियों में शुमार हैं जो टेस्ट क्रिकेट के आईकान माने जाते हैं। अलबत्ता 2012 का आस्ट्रेलिया दौरा उनके लिए काल बन गया। द्रविड़ 4 मैचों में महज 194 रन बना सके। भारत ने ये सीरिज 4-0 से हारी थी। वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण भी इस दौरे से निपट गए। वो 4 मैचों की सीरिज में महज 155 रन ही बना सके।
एमएस धोनी भी आस्ट्रेलिया में गुम हो गए
2014-15 का आस्ट्रेलिया दौरा कई मायनों में खास रहा। भारत ने ये सीरिज 2-0 से गंवाई। धोनी कप्तान थे पर वो टीम को सही तरीके से लीड नहीं कर सके। उनके बल्ले से महज 102 रन निकले। खास बात थी कि लांग फारमेट से उनके रिटायर होने की खबर प्रेस रिलीज के जरिये आई। धोनी अपनी विदाई के दौरान प्रेस से बात करने भी नहीं आ सके।
अश्विन आस्ट्रेलिया गए पर रुसवा होकर लौटना पड़ा
स्पिन ग्रेट रविचंद्रन अश्विन अपने मेंटर अनिल कुंबले के रिकार्ड को तोड़ने की तरफ तेजी से कदम आगे बढ़ा रहे थे। 2024 की बार्डर गावस्कर सीरिज में वो टीम का हिस्सा था। लेकिन उनके महज 1 मैच खेलने का मौका मिला जिसमें वो 1 ही विकेट ले सके। उसके बाद सामने आया उनका रिटायरमेंट। वो बीच दौरे में ही भारत वापस लौटा दिए गए।
2012 दौरे के बाद सचिन तेंदुलकर भी हो गए थे बेनूर
2012 के आस्ट्रेलिया दौरे में सचिन तेंदुलकर भारतीय टीम का हिस्सा था। ये सीरिज भारत ने 4-0 से गंवाई। द्रविड़, लक्ष्मण के करयिर का इस दौरे से अंत हो गया। अलबत्ता आंकड़े कहते हैं कि सचिन तेंदुलकर के लिए भी आस्ट्रेलिया का दौरा ग्रहण साबित हुआ। इसके बाद से उनकी क्षमता सवालों के दायरे में आ गई और अंततः उनके रिटायर होना पड़ गया।
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