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क्यों ट्रेंड में है: PAK को धूल चटाने वाले तिलक वर्मा की रीयल लाइफ स्टोरी और फैंस की चर्चा?

तिलक वर्मा ने एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान पर नाबाद 69 रनों से भारत को जीत दिलाई। इलेक्ट्रिशियन पिता के बेटे का संघर्ष से स्टारडम तक सफर प्रेरणादायक है। आईपीएल से करोड़ों कमाए, लेकिन जड़ें नहीं भूले। क्या यह करियर का नया अध्याय है?

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Ajit Kumar Pandey
क्यों ट्रेंड में है: PAK को धूल चटाने वाले तिलक वर्मा की रीयल लाइफ स्टोरी और क्या कहते हैं फैंस? | यंग भारत न्यूज

क्यों ट्रेंड में है: PAK को धूल चटाने वाले तिलक वर्मा की रीयल लाइफ स्टोरी और फैंस की चर्चा? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।दुबई में खेले गए एशिया कप फाइनल में तिलक वर्मा की नाबाद 69 रनों की पारी ने भारत को पाकिस्तान पर पांच विकेट से जीत दिलाई। एक इलेक्ट्रिशियन के बेटे का यह सफर संघर्ष और मेहनत की मिसाल है, जहां उधार की किट से शुरू हुआ खेल अब करोड़ों की कमाई और राष्ट्रीय गौरव तक पहुंचा। 

एशिया कप का फाइनल हमेशा से ही भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण मुकाबलों की याद दिलाता है। इस बार दुबई के स्टेडियम में कुछ अलग ही नजारा था। भारतीय टीम शुरुआती झटकों से जूझ रही थी, लेकिन मध्यक्रम के युवा बल्लेबाज तिलक वर्मा ने संयम और आक्रामकता का ऐसा मिश्रण दिखाया कि पाकिस्तानी गेंदबाजों की रणनीति धराशायी हो गई। उनकी नाबाद 69 रनों की पारी ने न सिर्फ मैच जिताया, बल्कि एक साधारण परिवार से निकले लड़के की कहानी को सुर्खियों में ला दिया। 

तिलक के पिता नम्बूरी नागराजू हैदराबाद में बिजली के तार जोड़ने का काम करते थे। घर चलाना मुश्किल था, लेकिन उन्होंने कभी बेटे के सपनों में रोड़ा नहीं अटकाया। आज तिलक करोड़पति क्रिकेटर हैं, लेकिन उनकी जड़ें उस संघर्ष से जुड़ी हैं जो लाखों भारतीय युवाओं की कहानी है। क्या आप जानते हैं, कैसे एक मिस्त्री का बेटा स्टार बना? 

तिलक का शुरुआती संघर्ष: उधार की किट और अनगिनत ट्रायल्स 

तिलक वर्मा का जन्म हैदराबाद में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। पिता इलेक्ट्रिशियन थे, जो दिन-रात मेहनत करके परिवार पालते। घर में तिलक के अलावा अन्य बच्चे भी थे, जिससे आर्थिक तंगी हमेशा बनी रहती। लेकिन क्रिकेट के प्रति तिलक का जुनून बचपन से था। 

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स्कूल के दिनों में वे पड़ोस के ग्राउंड पर खेलते, लेकिन किट खरीदने के पैसे नहीं होते। अक्सर दोस्तों से उधार लेकर बैट पकड़ते। एक बार तिलक ने बताया था कि उनके पिता सुबह जल्दी उठकर काम पर जाते, शाम को लौटते। फिर भी, वे तिलक को कोचिंग के लिए समय निकालते। "पापा कहते थे, बेटा, मेहनत करो, तार जोड़ने से बड़ा काम है सपने जोड़ना," तिलक की यह बात आज भी प्रेरणा देती है। लेकिन क्या यह आसान था? बिल्कुल नहीं। ट्रायल्स में कई बार रिजेक्ट हुए, लेकिन हार नहीं मानी। 

घरेलू क्रिकेट में तिलक ने धमाल मचाया

अंडर-19 स्तर पर शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा। रणजी ट्रॉफी में हैदराबाद के लिए खेलते हुए उन्होंने लगातार रन बनाए। लेकिन असली ब्रेकथ्रू आईपीएल से आया। क्या आप जानते हैं, आईपीएल ने उनकी जिंदगी कैसे बदल दी? 

आईपीएल का जादू: मुंबई इंडियंस और करोड़ों की बोली 

2022 का आईपीएल मेगा ऑक्शन तिलक के लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ। मुंबई इंडियंस, जो पांच बार की चैंपियन टीम है, ने इस बाएं हाथ के बल्लेबाज पर 1 करोड़ 70 लाख रुपये की बोली लगाई। एक मिस्त्री के बेटे के लिए यह रकम सपने जैसी थी। तिलक ने आईपीएल में डेब्यू करते हुए आक्रामक बल्लेबाजी दिखाई, जो मध्यक्रम में उपयोगी साबित हुई। मुंबई के लिए खेलते हुए उन्होंने कई मैच जिताऊ पारियां खेलीं। 

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रोहित शर्मा जैसे सीनियर खिलाड़ियों से सीखा

"आईपीएल ने मुझे आत्मविश्वास दिया," तिलक कहते हैं। लेकिन राष्ट्रीय टीम में जगह बनाना आसान नहीं था। कई युवा प्रतिभाएं कतार में थीं। फिर भी, तिलक की मेहनत रंग लाई। एशिया कप में चयन हुआ, और फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ मौका मिला। अब सवाल यह है, फाइनल में क्या हुआ जो इतना खास था? 

फाइनल का रोमांच: शुरुआती झटके और तिलक का कमबैक 

एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी की। उनकी टीम मजबूत थी, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने कसी हुई गेंदबाजी की। पाकिस्तान का स्कोर ज्यादा नहीं बन सका। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को शुरुआती झटके लगे। टॉप ऑर्डर फेल हुआ, दबाव बढ़ गया। स्टेडियम में सन्नाटा छा गया। तभी क्रीज पर आए तिलक वर्मा। शुरुआत में संयम बरता। 

पाकिस्तानी तेज गेंदबाजों की गति का सामना किया। धीरे-धीरे शॉट्स खेलने लगे। 69 रन नाबाद, जिसमें कई चौके और छक्के शामिल। संजू सैमसन और शिवम दुबे के साथ साझेदारियां कीं। सैमसन की पारी शानदार थी, दुबे ने दबाव झेला। 

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तिलक ने कहा, "दबाव था, लेकिन मैंने गौतम गंभीर सर से सीखा कि विकेट धीमे होने पर कैसे खेलें।" मैच खत्म होते ही स्टेडियम भारत माता की जय से गूंज उठा। तिलक को प्लेयर ऑफ द मैच मिला। पुरस्कार समारोह में देरी हुई, लेकिन तिलक की मुस्कान सब कुछ बयां कर रही थी। "चक दे इंडिया," उन्होंने कहा। लेकिन यह जीत सिर्फ एक मैच की नहीं, एक संघर्ष की थी। अब देखते हैं, तिलक की यह पारी उनके करियर को कहां ले जाती है? 

तिलक की तारीफें: साथी खिलाड़ी और कोच क्या कहते हैं?

तिलक की पारी की सराहना हर तरफ हो रही है। संजू सैमसन ने कहा, "तिलक ने शानदार खेला। उसकी परिपक्वता उम्र से ज्यादा है।" शिवम दुबे ने भी तारीफ की, "दबाव में साथ खेलना आसान नहीं, लेकिन तिलक ने रास्ता दिखाया।" 

कोच गौतम गंभीर, जिन्होंने तिलक को धीमे विकेट्स पर खेलने की ट्रेनिंग दी, ने कहा, "वह लचीला है, किसी भी क्रम पर खेल सकता है।" 

संजू सैमसन की भूमिका: सैमसन ने 40+ रन बनाए, जो साझेदारी के लिए जरूरी थे। 

शिवम दुबे का योगदान: दुबे ने आखिरी ओवरों में तेज रन बनाए, दबाव कम किया। 

गौतम गंभीर की ट्रेनिंग: धीमे विकेट्स पर फोकस, जो फाइनल में काम आया। 

ये तारीफें बताती हैं कि तिलक टीम प्लेयर हैं। लेकिन उनके पिता की भूमिका सबसे बड़ी है। पिता ने कभी सपनों में बाधा नहीं डाली। आज तिलक अपनी कमाई से परिवार की हर जरूरत पूरी करते हैं। घर में नई कार, बेहतर जीवन- सब कुछ बदल गया। लेकिन तिलक जमीन से जुड़े हैं। विश्व कप और बड़े टूर्नामेंट्स एशिया कप की जीत के बाद तिलक का नाम विश्व कप टीम में चर्चा में है। उनकी लचीलापन किसी भी क्रम पर खेलना उन्हें उपयोगी बनाता है। 

विशेषज्ञ कहते हैं, "तिलक जैसे युवा भारत के भविष्य हैं।" लेकिन चुनौतियां हैं। प्रतिस्पर्धा कड़ी है, चोट का खतरा हमेशा। तिलक कहते हैं, "मैं तैयार हूं। मेहनत जारी रहेगी।" 

तिलक की यह कहानी लाखों युवाओं को प्रेरित करती है। एक साधारण परिवार से निकलकर स्टार बनना आसान नहीं। पिता के तार जोड़ने से तिलक के रन जोड़ने तक का सफर भावुक कर देने वाला है। 

क्या तिलक अगला विराट कोहली बनेंगे? 

समय बताएगा, लेकिन फिलहाल उनकी पारी ने पाकिस्तान की 'बत्ती गुल' कर दी। तिलक की जिंदगी में और भी कई कहानियां हैं। बचपन की ट्रेनिंग, दोस्तों का साथ, कोच की सलाह। एक बार ट्रायल में फेल होने पर वे रोए थे, लेकिन पिता ने कहा, "बेटा, तार टूटते हैं तो जोड़ते हैं, सपने भी ऐसे ही।" यह बात आज भी उन्हें मजबूत बनाती है। 

प्रेरणा की कहानी: लाखों युवाओं के लिए सबक 

तिलक वर्मा की सफलता सिर्फ क्रिकेट की नहीं, जीवन की है। उन्होंने साबित किया कि पृष्ठभूमि मायने नहीं रखती, मेहनत रखती है। हैदराबाद के ग्राउंड से दुबई के स्टेडियम तक- यह सफर सपनों का है। पिता की मेहनत, बेटे की लगन। 

आज तिलक चैरिटी भी करते हैं, गरीब बच्चों को किट देते हैं। 

संघर्ष के सबक: कभी हार न मानें, संयम रखें। 

परिवार का महत्व: पिता की भूमिका अनमोल। 

मेहनत का फल: आईपीएल से करोड़ों, लेकिन विनम्रता बरकरार। 

यह कहानी बताती है कि भारत में प्रतिभा की कमी नहीं अवसरों की जरूरत है। तिलक जैसे खिलाड़ी इसे साबित करते हैं। अब सवाल आपसे: क्या आप भी अपने सपनों के लिए लड़ रहे हैं? तिलक की यह पारी न सिर्फ मैच जीती, बल्कि दिल भी। 

पाकिस्तान के खिलाफ जीत हमेशा खास होती है, लेकिन इस बार एक मिस्त्री के बेटे ने इतिहास रचा। भविष्य में तिलक और बड़े मुकाम हासिल करेंगे। उनकी कहानी जारी है... 

Tilak Varma | Asia Cup 2025 Final | India vs Pakistan | Cricket Star

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