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Ind- Eng cricket diary - तय थी भारत की हार, पर 17 साल के सचिन ने अपने पहले शतक से बदल दिया सीन

भारत को जीत के लिए 408 रनों का टारगेट मिला था। भारत की टीम जब खेलने उतरी तो उनकी कोशिश जीत के बजाय ड्रा खेलने की थी। जब भारत के 109 रनों पर 4 विकेट गिर गए तो लगा कि हार टालनी मुश्किल है।

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Shailendra Gautam
sachin tendulkar on ins vs eng test series

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः1990 के अगस्त महीने में इंग्लैंड के मैनचेस्टर मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट जब अपने आखिरी दौर में पहुंचा तो सभी मान चुके थे कि भारत की हार तय है। 109 के स्कोर पर भारत के चार विकेट गिर गए तो दर्शक भी पैवेलियन को खाली करने लग गए। पर तभी एक 17 साल का लड़का मैदान में उतरा। वो एक छोर पर खूंटा डालकर खड़ा हो गया। ऐसा कि इंग्लैंड के बल्लेबाज लाख कोशिशें करके भी उसे आउट नहीं कर सके। उस लड़के ने ऐसी बैटिंग की कि स्विंग बालिंग की हवा निकल गई। वो लड़का नाटआउट लौटा। जब खेल खत्म हुआ तो भारत दूसरा टेस्ट मैच बचा चुका था। खास बात है कि 17 साल के सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला शतक बनाया था, वो भी ऐसी विदेशी धरती पर जहां गेंद बल्लेबाज की सोच से ज्यादा कलाबाजी करती है। सचिन ने दिखा दिया था कि वो आलटाइम ग्रेट हैं।

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पाकिस्तान सीरीज से सचिन ने किया था टेस्ट में डेब्यू 

सचिन रमेश तेंदुलकर को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। क्रिकेट के भगवान, मास्टर ब्लास्टर और न जाने क्या क्या उपाधियां उनके नाम के साथ जुड़ी हैं। लेकिन सचिन को ये मुकाम यूं ही नहीं मिल गया। इसे उन्होंने अपनी मेहनत और जुझारू क्षमता के जरिये हासिल किया। सचिन का डेब्यू 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ हुआ। तब वो वसीम अकरम, इमरान खान और वकार युनूस के सामने थे। तूफानी रफ्तार से गेंदबाजी हो रही थी। एक गेंद सचिन की नाक पर लगी। तब माना गया कि उनका करियर खत्म हो गया। लेकिन सचिन खेले और जमकर खेले। 

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इंग्लैंड टूर पर पहले टेस्ट में फ्लाप रहे थे मास्टर ब्लास्टर

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सचिन से अपेक्षा थी कि वो सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक जड़कर रिकार्ड कायम कर देंगे। लेकिन भारत ने उसी साल जब वेस्टइंडीज का दौरा किया तो उनको टीम से बाहर रखा गया। सिलेक्टर्स मानते थे कि सचिन उछाल भरी पिच पर कैरेबियाई गेंदबाजों को माकूल जवाब नहीं दे पाएंगे। पर जब इंग्लैंड टूर की बात आई तो सिलेक्टर्स ने सचिन पर भरोसा जताया। उनको टीम में शामिल किया गया। सचिन तीनों टेस्ट मैच में खेले पर पहले टेस्ट में वो कुछ खास नहीं कर सके। भारत ने ये टेस्ट 247 रनों से गंवाया। सचिन का स्कोर 10 और 27 रहा। वो फेल कर गए थे।

दूसरा टेस्ट हारने की कगार पर था भारत 

फिर आया दूसरा टेस्ट। अगस्त के महीने में ये टेस्ट मैनचेस्टर में खेला गया। पहली पारी में इंग्लैंड ने 519 रन बनाए। गेंद स्विंग हो रही थी और भारत के अनुभवी बल्लेबाज विकेट बचाने के लिए संघर्ष करते दिखे। हालांकि अजहर ने 179, संजय मांजरेकर ने 93 और सचिन ने 68 रनों की पारी खेली। लेकिन भारत की सारी टीम 432 रनों पर सिमट गई। इंग्लैंड को जीत दिखाई दे रही थी। दूसरी पारी में कप्तान ग्राहम गूच ने टीम से ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने को कहा। एलन लैंब ने तेजतर्रार 109 रन बनाए। अंग्रेजों ने 320 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। भारत को जीत के लिए 408 रनों का टारगेट मिला था। भारत की टीम जब खेलने उतरी तो उनकी कोशिश जीत के बजाय ड्रा खेलने की थी। रवि शास्त्री हों या नवजोत सिद्धू या फिर दिलीप वेंगसरकर सभी विकेट बचाते दिखे। जब भारत के 109 रनों पर 4 विकेट गिर गए तो लगा कि हार टालनी मुश्किल है।

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सचिन आए और 119 रन ठोककर अंग्रेजों को कर दिया लाजवाब

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उसी वक्त मैदान पर सचिन आते दिखे। इंग्लिश गेंदबाजों ने सोचा कि 17 साल का लड़का है। ये क्या खेलेगा। सचिन को पहले पहल जो गेंदें डाली गईं वो उनके शरीर को निशाना बनाकर फेंकी गई थीं। सचिन संतुलित रहे और वो जमकर खड़े हो गए। उन्होंने 189 गेंद खेलकर 119 रन बनाए। वो नाबाद लौटे। हालांकि सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक जड़ने के रिकार्ड को नहीं तोड़ सके, क्योंकि तब उनकी उम्र ज्यादा हो गई थी। पर उन्होंने दिखा दिया कि वो अलग ही चीज हैं। इंग्लिश गेंदबाज पसीना बहाते रहे पर भारत ने 6 विकेट पर 343 रन बनाकर टेस्ट ड्रा करा लिया। सचिन की वो पारी कितनी बेशकीमती थी कि लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने मैच के बाद कहा कि सचिन आने वाले समय में बहुत सारी सेंचुरी जड़ेंगे लेकिन ये शतक नायाब है। 


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