Advertisment

पत्‍नी आप की जागीर नहीं...Allahabad High Court की सख्‍त ट‍िप्‍पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि पत्नी का शरीर उसकी अपनी संपत्ति है और उसकी सहमति उसके व्यक्तिगत और अंतरंग जीवन के सभी पहलुओं में सर्वोपरि है।

author-image
Ranjana Sharma
Nitin Gadkari  (1)
नई द‍िल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि पत्नी का शरीर उसकी अपनी संपत्ति है और उसकी सहमति उसके व्यक्तिगत और अंतरंग जीवन के सभी पहलुओं में सर्वोपरि है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पति की भूमिका स्वामी या मालिक की नहीं, बल्कि एक समान भागीदार की है, जो पत्नी की स्वायत्तता और व्यक्तित्व का सम्मान करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन अधिकारों का उल्लंघन या नियंत्रण करने का प्रयास चाहे वह जबरदस्ती हो, दुर्व्यवहार हो, या बिना सहमति के अंतरंग विवरणों को सार्वजनिक करना हो – यह विश्वास और वैधता का गंभीर उल्लंघन है।

पत्‍नी ने पत‍ि के ख‍िलाफ दर्ज कराई थी श‍िकायत 

यह टिप्पणी तब आई जब एक पत्नी ने अपनी निजी अंतरंग क्षणों का वीडियो बिना उसकी सहमति के सोशल मीडिया पर शेयर करने के कारण अपने पति के खिलाफ मिर्जापुर के चुनार थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। पति ने इस प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने कहा कि पत्नी पति का विस्तार नहीं है, बल्कि वह एक स्वतंत्र व्यक्ति है, जिसके अपने अधिकार, इच्छाएं और निजता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल पति का विधिक दायित्व नहीं, बल्कि उसका नैतिक उत्तरदायित्व भी है कि वह पत्नी की निजता का सम्मान करे।

वैवाह‍िक गरिमा का क‍िया उल्‍लंघन 

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि शादी के बाद पति को अपनी पत्नी पर स्वामित्व या नियंत्रण प्राप्त नहीं हो जाता है। इसके अलावा पत्नी के स्वतंत्रता और निजता के अधिकार पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती है। याचिका में कहा गया था कि पति ने अपनी पत्नी के साथ आंतरिक क्षणों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया और उसे अपने चचेरे भाई को भी भेज दिया। कोर्ट ने इसे वैवाहिक संबंध की गरिमा और पवित्रता का उल्लंघन करार दिया। न्यायमूर्ति दिवाकर ने यह भी कहा कि पुरुषों के लिए यह समय है कि वे यह मानसिकता छोड़ दें कि पत्नी केवल उनके अधिकार क्षेत्र में आती है और उसे उनकी जागीर माना जाता है।  
High Court
Advertisment
Advertisment