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Banke Bihari temple विवाद : सुप्रीम कोर्ट की गोस्वामी पक्ष को फटकार, कहा– चालें चलना बंद करें

सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर विवाद में गोस्वामी पक्ष को फटकार लगाते हुए कहा कि बार-बार उठाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। अदालत ने चेतावनी दी कि मामले को जानबूझकर अन्य पीठ के समक्ष रखा गया, तो अवमानना की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।

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Ranjana Sharma
Supreme court

बिहार में SIR पर फिलहाल रोक नहीं : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, आईएएनएस: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बांके बिहारी मंदिर मामले में गोस्वामी पक्ष को कड़ी फटकार लगाई। सर्वोच्च अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा चालें चलना बंद करें

चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की तीन सदस्यीय पीठ ने गोस्वामी पक्ष को फटकार लगाते हुए साफ शब्दों में चेतावनी दी कि एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने कड़े लहजे में कहा, "आप इस तरह के खेल खेलना और चालें चलना बंद कीजिए। एक ही विषय को बार-बार उठाना न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है। यह अनुचित है और इसे रोका जाना चाहिए।

बार-बार एक ही मुद्दे को उठाने पर चेतावनी

पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति हुई या जानबूझकर मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तो संबंधित वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से दलील दी गई कि गोस्वामी पक्ष पहले ही इस मामले को दूसरी पीठ में स्थानांतरित करने की कोशिश कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस तरह की हरकतें अदालत के समय और प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं।कोर्ट ने गोस्वामी पक्ष को चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

यह है मामला

यह मामला बांके बिहारी मंदिर से जुड़े विवाद से संबंधित है। बता दें कि मथुरा के वृंदावन में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन समिति ने यूपी सरकार के अध्यादेश 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025' को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस अध्यादेश के तहत मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण एक नवगठित ट्रस्ट को सौंपा गया है, जिसे याचिकाकर्ताओं ने मंदिर के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है। याचिका में कहा गया है कि यह मंदिर के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के समान है। मंदिर राज्य की संपत्ति या ट्रस्ट नहीं है।  banke bihari temple

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