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बिहार की राजनीति में एक नए राजनीतिक भूचाल ने दस्तक दे दी है। अररिया जिले के वरिष्ठ नेता और नारपतगंज विधानसभा सीट से चार बार के विधायक जनार्दन यादव ने भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़कर प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी में शामिल होने का फैसला किया है। यह राजनीतिक उलटफेर ठीक उस समय सामने आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं और जन सुराज पार्टी ने राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
प्रशांत किशोर ने व्यक्तिगत रूप से जनार्दन यादव को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। इस कार्यक्रम ने बिहार की राजनीतिक दिशा को नए सिरे से परिभाषित करने का काम किया है। जनार्दन यादव का नारपतगंज विधानसभा क्षेत्र लंबे समय से भाजपा का गढ़ रहा है, लेकिन अब यह सीट जन सुराज पार्टी के लिए रणनीतिक महत्व की हो गई है। इस एक फैसले ने सीमांचल क्षेत्र के समीकरणों को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।
जनार्दन यादव का राजनीतिक सफर तीन दशकों से अधिक समय तक फैला हुआ है। उन्होंने 1995 में पहली बार जनता दल के टिकट पर नारपतगंज सीट से विधायक का चुनाव जीता था। इसके बाद 2000 में वे फिर से जनता दल से विधानसभा पहुंचे। 2010 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की और 2015 में लगातार दूसरी बार भाजपा से विधायक बने।
यादव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जनार्दन यादव ने हमेशा से स्थानीय विकास के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। सड़कों का निर्माण, बिजली की आपूर्ति और सिंचाई सुविधाओं के विस्तार जैसे मुद्दों पर उन्होंने लगातार जोर दिया। अररिया जिले के विकास के लिए शुरू की गई कई योजनाओं का श्रेय वे अपने प्रयासों के माध्यम से लेते रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भाजपा के भीतर उनकी भूमिका लगातार सीमित होती गई।
2020 के विधानसभा चुनाव में जनार्दन यादव को टिकट नहीं मिला, जिसने उनके मन में गहरा असंतोष पैदा किया। पार्टी संगठन में उन्हें हाशिए पर धकेले जाने की भावना ने इस असंतोष को और बढ़ाया। इसी पृष्ठभूमि में वे चुपचाप प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान से जुड़ गए और अब औपचारिक रूप से पार्टी का हिस्सा बन गए हैं।