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बाहुबली विधायक Ritlal Yadav ने किया आत्मसमर्पण, दानापुर कोर्ट में सरेंडर के बाद मचा सियासी हड़कंप

बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राजधानी पटना से बड़ी खबर सामने आई है—राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विवादित और बाहुबली विधायक रीतलाल यादव ने मंगलवार को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।

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Jyoti Yadav
Bahubali MLA Ritlal Yadav surrendered
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पटना, वाईबीएन संवाददाता | बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राजधानी पटना से बड़ी खबर सामने आई है—राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विवादित और बाहुबली विधायक रीतलाल यादव ने मंगलवार को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके साथ उनके भाई ने भी सरेंडर किया है। जैसे ही यह खबर फैली, राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता के बीच हलचल तेज हो गई। 

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आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज

रीतलाल यादव पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज है। कुछ दिन पहले ही पटना और उसके आसपास के इलाकों, खासकर दानापुर में, पुलिस ने उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। ये कार्रवाई तब की गई जब एक नामी बिल्डर ने विधायक पर रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। बिल्डर के बयान के बाद पुलिस ने तेजी से एक्शन लिया और विधायक के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। अब उन्हीं दबावों के बीच रीतलाल यादव ने कोर्ट में समर्पण कर दिया, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि मामला गंभीर है और पुलिस की कार्रवाई ने असर डाला है।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया

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वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए बिहार पुलिस को 'राजनीतिक हथियार' बता दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार पुलिस का इस्तेमाल चुनिंदा लोगों को निशाना बनाने के लिए कर रही है। तेजस्वी ने मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह का उदाहरण देते हुए कहा, “तब भी पुलिस ने छापा मारा, एके-47 मिलने का दावा किया गया, लेकिन कोर्ट ने बाद में कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है।” उन्होंने पूछा कि क्या यही न्याय का तरीका है? क्या केवल विपक्ष के नेताओं पर ही कानून सख्त होगा?

जेल भेजा जाएगा या बेल मिलेगी

अब सबसे बड़ा सवाल है कि कोर्ट रीतलाल यादव के सरेंडर के बाद क्या रुख अपनाएगा। क्या उन्हें जेल भेजा जाएगा या बेल मिलेगी? साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मामले का असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा, खासकर उस समय जब बिहार में सीटों के समीकरण और गठबंधन की राजनीति अपने चरम पर है। रीतलाल यादव पहले भी कई मामलों को लेकर सुर्खियों में रह चुके हैं। लेकिन इस बार का मामला राजनीतिक बयानबाज़ी से कहीं ज्यादा कानूनी पेंचों से जुड़ा हुआ लगता है।

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