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सांसद पप्पू यादव। फाइल
भागलपुर जिले की कहलगांव विधानसभा सीट इस बार सिर्फ एक चुनावी मुकाबला नहीं, बल्कि महागठबंधन के भीतर की गहराती दरार का प्रतीक बन गई है। पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली यह सीट अब राजद और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है। राजद ने झारखंड के मंत्री संजय यादव के पुत्र रजनीश यादव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने प्रवीण कुशवाहा को मैदान में उतारकर अपने सहयोगी दल को सीधी चुनौती दे दी है। इससे गठबंधन धर्म पर गहरी बहस छिड़ गई है।
राजद उम्मीदवार रजनीश यादव ने नामांकन दाखिल कर दिया है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण कुशवाहा 20 अक्टूबर को नामांकन करेंगे। दोनों दलों के आमने-सामने आने से कहलगांव की सियासी फिजा पूरी तरह बदल गई है।
पप्पू यादव के बयान से भड़की चिंगारी
विवाद तब बढ़ा जब पटना में कांग्रेस उम्मीदवार के नामांकन जश्न के दौरान सांसद पप्पू यादव ने बिना नाम लिए रजनीश यादव के पिता और झारखंड सरकार के मंत्री संजय यादव पर “बालू माफिया” होने का आरोप लगाया। उन्होंने “माफिया भागो, कहलगांव बचाओ” के नारे भी लगाए, जिससे मामला गरमा गया। इस पर पलटवार करते हुए रजनीश यादव ने कहा कि वे अपने पिता पर लगे झूठे आरोप बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने पप्पू यादव को “अपने गिरेबान में झांकने” की नसीहत दी और कहा कि सीमांचल में उनके आतंक की कहानियां किसी से छिपी नहीं हैं।
गठबंधन धर्म पर उठे सवाल
रजनीश यादव ने कांग्रेस पर गठबंधन धर्म तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने याद दिलाया कि 2014 की मोदी लहर में राजद ने भागलपुर लोकसभा सीट जीती थी, लेकिन 2024 में उसने वह सीट कांग्रेस को देकर गठबंधन की मर्यादा निभाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी कहलगांव में वही भावना दिखानी चाहिए थी। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी पर “बाहरी उम्मीदवार” होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जनता जानती है कौन कहां-कहां से चुनाव लड़ चुका है।
अंदरूनी विरोध और गुटबाजी
रजनीश यादव ने राजद के अंदर भी कुछ नेताओं पर खुलकर हमला बोला। उन्होंने बासुकीनाथ यादव और सुभाष यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि ये ठेकेदार किस्म के लोग हैं जो कभी बीजेपी, कभी जदयू, कभी लोजपा के मंच पर दिख जाते हैं। उन्होंने कहा कि जनता अब ऐसे लोगों को जवाब देगी जो हर पार्टी में मौका तलाशते हैं।
विकास बनाम व्यक्तित्व की लड़ाई
रजनीश यादव ने कहा कि उनकी असली लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि बेरोजगारी और विकास की कमी से है। उन्होंने एनटीपीसी के सीएसआर फंड के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया और दिवंगत सदानंद सिंह के लंबे कार्यकाल पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि सड़कों और बुनियादी ढांचे की स्थिति बताती है कि कहलगांव अब बदलाव चाहता है। उन्होंने दावा किया कि जनता का झुकाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व की ओर है और कहलगांव की सीट महागठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा साबित होगी।
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