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बिहार की सियासत में इस समय सबसे बड़ी चर्चा जमुई से सांसद और लोजपा (रामविलास) के नेता अरुण भारती के भविष्य को लेकर है। अरुण भारती, जो केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बहनोई भी हैं, जल्द ही विधानसभा की राजनीति में कदम रख सकते हैं। माना जा रहा है कि वे जमुई लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली सिकंदरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और इस समय हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा (हम) के विधायक प्रफुल्ल मांझी यहां से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
अरुण भारती पर बड़ा दांव?
चर्चा है कि अगर एनडीए की सरकार बनी तो चिराग पासवान लोजपा-आर के कोटे से अरुण भारती को डिप्टी सीएम पद के लिए आगे कर सकते हैं। यह कदम न सिर्फ जमुई और आसपास की राजनीति को बदल देगा, बल्कि महागठबंधन और एनडीए के भीतर भी नई समीकरण खड़ा कर सकता है। प्रफुल्ल मांझी साधारण परिवार से आने के बावजूद सिकंदरा में मजबूत पकड़ रखते हैं। अरुण भारती के लिए एनडीए में प्रफुल्ल मांझी को रिप्लेस करना भी एक चुनौती होगी।
इसी बीच चकाई सीट पर भी लोजपा-आर की नजर है। यहां निर्दलीय विधायक और नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री सुमित सिंह का दबदबा है। वे दिवंगत समाजवादी नेता नरेंद्र सिंह के बेटे हैं और राजनीतिक रूप से जेडीयू के करीब माने जाते हैं। लोजपा-आर चाहती है कि एनडीए में सीट बंटवारे के दौरान इस क्षेत्र पर भी उनका दावा मजबूत हो।
चिराग पासवान ने हाल ही में साफ किया था कि 2025 में नीतीश कुमार ही एनडीए के मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने डिप्टी सीएम पद को लेकर कहा था कि लोजपा-आर का कोई अनुभवी कार्यकर्ता इस भूमिका को संभालेगा। उनके इस बयान के बाद यह कयास और तेज हो गया कि अरुण भारती ही उस पद के प्रमुख दावेदार हो सकते हैं।
हालांकि, एनडीए में फिलहाल सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और जेडीयू के बीच ही मुख्य बातचीत हो रही है। चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसी सहयोगी पार्टियां सीटों की संख्या और दावेदारी को लेकर भाजपा से लगातार संवाद कर रही हैं। उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित करना भी शुरू कर दिया है। बक्सर के राजपुर से संतोष निराला को जेडीयू उम्मीदवार के तौर पर पहले ही उतार दिया गया है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि अरुण भारती विधानसभा में उतरकर बिहार की राजनीति में नई भूमिका निभाते हैं या नहीं। अगर ऐसा होता है तो चिराग पासवान की राजनीतिक रणनीति न केवल जमुई बल्कि पूरे राज्य में सत्ता संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
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