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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभूमि में अब तक निष्पक्ष सहयोग का ढोंग छूटता दिख रहा है। Indian National Congress (कांग्रेस) और Rashtriya Janata Dal (राजद) द्वारा साथ मिलकर बनाई गई महागठबंधन में नामांकन प्रक्रिया के दौरान जिस तरह प्रतिद्वंद्वी सीटों पर दोनों दलों ने प्रतिस्पर्धा खड़ी कर ली है, वह इस फ्रंट की मजबूती पर गहरी चोट है।
राजद ने उन विधानसभा सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं जहां कांग्रेस या उसके अन्य घटक दल पहले ही नाम दाखिल कर चुके थे। लालगंज और वैशाली की सीटें इसका प्रमाण हैं। कांग्रेस वहां नामांकन कर चुकी थी, फिर भी राजद पीछे नहीं हट रही। इससे गठबंधन में बैठकों का क्रम टूट गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम की सीट कुटुंबा पर भी राजद द्वारा प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी उतारे जाने के बाद टकराव चरम पर पहुंच गया है। उन्होंने खुलकर सोशल मीडिया पर यह संदेश दिया कि “दलित दबेगा नहीं, झुकेगा नहीं, अब इंकलाब होगा”।
घटक दलों के बीच सुलह की कवायदें अब कमजोर दिखाई दे रही हैं। Jharkhand Mukti Morcha ने छह सीटों पर अकेले लड़ने का एलान किए जाने के साथ ही महागठबंधन को एक और झटका दिया है। ऐसे में विपक्षी मोर्चा न केवल सीट-बंटवारे पर उलझा है, बल्कि उसकी अंदरूनी संरचना भी गंभीर संकट में दिख रही है।
दिलचस्प बात यह है कि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन-दल कितनी सीट पर लड़ेगा। कांग्रेस, वीआईपी और कई वामदल अपने उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं। लेकिन राजद ने 100 से अधिक उम्मीदवारों को सिम्बल दे दिए हैं, जबकि उसके हिस्से आने वाली सीटों की संख्या सार्वजनिक नहीं हुई।
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